लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार 26वीं बार अपने भाग्य का फैसला मतदाताओं पर छोड़ने को तैयार है। इसमें भी आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि वह 25बार चुनाव लड़ने के बावजूद एक बार भी मतदाताओं का विश्वास नहीं जीत सके। फिर भी पूरे उत्साह से चुनावी मैदान में हैं। यह उम्मीदवाद हैं उड़ीसा के 73वर्षीय के श्याम बाबू सुबुधि। पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर श्याम बाबू अस्का और बहरामपुर संसदीय क्षेत्रों से एक साथ अपनी किस्मत आजमाएंगे। वह 1957 से लगातार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन एक बार भी जीत नहीं सके हैं।
श्याम बाबू का कहना है कि उन्होंने कभी किसी पार्टी का दामन थामने का प्रयास नहीं किया क्योंकि उनका मानना है कि उनकी संघर्षशीलता देखकर लोग राजनीति में आने का साहस बटोर सकते हैं।
श्याम बाबू 15 बार लोकसभा और 10 बार विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री पी।वी. नरसिंम्हाराव, उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और मौजूदा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के खिलाफ भी लड़ चुके हैं।
Saturday, March 28, 2009
हारे 25 बार, उत्साह फिर भी बरकरार
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बहुत खूब! एक काका धरतीपकड भी तो थे जो हर बार चुनाव में खडे होकर हार जाते थे! खैर गीता में लिखा है कर्म करो, फल की चिंता ऊपरवाले पर छोड दो - तो ठीक ही कर रहे हैं! एक न एक दिन अवश्य जीतेंगे और कुछ कर दिखायेंगे!
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