Thursday, May 21, 2009

किसे मिलेगा कौन सा मंत्रालय?

  • प्रणव मुखर्जी रक्षा मंत्रालय चाहते हैं
  • खुर्शीद और सिब्बल का नाम विदेश मंत्रालय के लिए
  • चिदंबरम वापस पाना चाहते हैं वित्त मंत्रालय
  • सुशील कुमार शिंदे का नाम गृह मंत्रालय के लिए
  • ममता और करुणानिधि दोनों को चाहिए रेल मंत्रालय
  • शशि थरूर को विदेश राज्यमंत्री बनाया जा सकता है
कैबिनेट में ज्यादा संख्या और महत्वपूर्ण मंत्रालयों के लिए यूपीए के घटक दलों ने कांग्रेस पर दबाव डालना शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा दबाव नंबर दो की ताकतवर पार्टी डीएमके बना रही है। उसके 18 सदस्य हैं मगर वह 3 कैबिनेट सहित 7 मंत्रिपद मांग रहे हैं। मंत्रालयों में डीएमके आईटी और कम्युनिकेशन, सड़क और परिवहन मंत्रालय जैसे बड़े बजट के मंत्रालयों की वापसी के साथ रेल और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय भी मांग रहा है। सबसे ज्यादा 19 सीट पाने वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की निगाहें भी रेल पर हैं, ताकि पश्चिम बंगाल में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता दो रेल बजट अपने राज्य को समर्पित कर सकें।
कांग्रेस पिछली बार के मंत्रालय तो अपने पास रखना चाहती है, साथ ही आईटी और कम्युनिकेशन और देश में राष्ट्रीय राजमार्ग की दशा सुधारने के लिए सड़क और परिवहन में भी अपने आदमी बिठाना चाहती है। रक्षा, विदेश, गृह, वित्त, मानव संसाधन जैसे मंत्रालय कांग्रेस के सबसे काबिल मंत्रियों के पास रहेंगे। कांग्रेस में प्रणब मुखर्जी, ए। के। एंटनी और चिदम्बरम सबसे योग्य और हरफनमौला मंत्रियों में माने जाते हैं। वित्त मंत्रालय को लेकर प्रधानमंत्री थोड़ी पसोपेश में हैं, क्योंकि पार्टी की पसंद उनकी निजी पसंद से नहीं मिल रही है। पार्टी की तरफ से प्रणब को मंत्रालय देने की बात आ रही है, जबकि मनमोहन अपने मनमुताबिक आदमी चाहते हैं, जिनमें चिदंबरम और मोंटेक सिंह का नाम शामिल है। अगर प्रणब वित्त मंत्रालय पा जाते हैं, तो चिदंबरम होम मिनिस्टर बने रहेंगे। एंटनी का रक्षा मंत्रालय संभालना लगभग तय है। उधर कपिल सिब्बल के नाम पर विदेश मंत्रालय जैसी अहम मुहर लग सकती है और अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय दिया जा सकता है। सलमान खुर्शीद भी इस बार अहम नामों में से हैं। सलमान को मानव संसाधन या अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की कमान सौंपी जा सकती है। एनसीपी की तरफ से शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल दावेदार होंगे। नैशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से फारूक अब्दुल्ला खुद मंत्री बनना चाहते हैं।

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