Tuesday, March 31, 2009

बेकाबू हो चुके हैं पड़ोस के हालात

पाकिस्तान में लाहौर में एक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर हुए आतंकी हमले से यह जाहिर हो चुका है ​कि पाकिस्तान में हालात पूरी तरह से बेकाबू हो चुके हैं। श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमले के बाद भी पाक सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, दुनिया को दिखावे के लिए नेताओं के बयान भी आते रहे लेकिन पिछले एक महीने के भीतर चार बड़ी आतंकी वारदातें कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। इस सरकार को इससे कोई मतलब नहीं ​कि रावलपिंडी में होटल के पास विस्फोट में कितने मारे जाते हैं या फिर खैबर की मस्जिद में नमाजियों पर किस कदर कट्टरपंथियों का कहर टूटा। पाक सरकार को इससे कोई मतलब नहीं क्योंकि वह कट्टरपंथियों के हाथों का खिलौना बन चुकी है.
दुनिया की सबसे खूबसूरत स्थानों में एक स्वात घाटी में उनके कठमुल्लाई फरमान के आगे झुकते हुए शरीयत को मान्यता देने के बाद तालिबानों के हौंसले ​कितने बुलंद हुए, यह ​दुनिया से छिपा नहीं है. श्रीलकाई टीम पर हमला इसी का परिणाम रहा. पाकिस्तान के झंडाबरदार गद्दीनसीन कभी यह नहीं सोचते कि जिस आग को वे हवा देकर खुद की कुर्सी को कायनात की सीढ़ी बनाने पर तुले हैं, उसी की तपिश एक दिन पूरे देश को ले डूबेगी.
लेकिन क्या हम इतना कहकर ही सब कुछ खत्म कर लेंगे. क्या हमारे पड़ोस पाकिस्तान में इस तरह की घटनाओं को हम केवल उसका आंतरिक संकट मात्र मानकर निश्चिंत होकर बैठ सकेंगे. मुंबई में 26 नवंबर को हमले के बाद आतंकवादियों की कायराना हरकते लगातार बढ़ रही हैं. दरअसल आतंकियों के निशाने पर भारत और पाक दोनों ही हैं. पाकिस्तान की लगाई यह आग अगर पाक को नुकसान पहुंचाती है तो उसकी लपटे भारत को भी झुलसायेंगी इसमें संदेह नहीं है. आखिर क्या कारण है ​कि इस दौरान जबकि पाकिस्तान में कट्टरपंथियों का कहर टूट रहा है, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में आतंकवादियों की घुसपैठ भी अप्रत्याशित रुप से बढ़ गयी है. कहीं पाकिस्तान के इरादे कुछ और तो नहीं.
बहरहाल, आज दक्षिण एशिया में कट्टरपंथ की आग जिस तरह फैलती जा रही है वह न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरे विश्व समुदाय के ​लिए चिंता का विषय होना चाहिए. लेकिन खुद को दुनिया का नेता मानने वाला अमेरिका इस संकट को भी केवल अपने नफे नुकसान के नजरिए से देखने के अलावा और कुछ नहीं कर रहा. बराक ओबामा ने जो शब्जबाग दिखाये थे उसकी असलियत अब सबके सामने आ रही है. लेकिन वह भी बुश के नक्शेकदम पर ही जाते दिख रहे हैं. पिछले दिनों ओबामा ने पाक को डेढ अरब डॉलर की वार्षिक सहायता देने की घोषणा की और पहले की ही तरह उसे सैन्य सहायता देने का संकेत भी दिया. दरअसल अल कायदा के खिलाफ अभियान में पाकिस्तान का सहयोग उनकी रणनीतिक मजबूरी बन गयी है. ऐसे में और देश आतंकी हमलों से जूझ रहे हैं तो जूझते रहें.
आखिर क्या कारण है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा कई बार यह तथ्य उजागर करने के बावजूद कि आईएसआई आतंकवादियों को संरक्षण और बढ़ावा दे रही है, अमेरिकी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रही. उसने तो अपनी आंख पर भी पट्टी ही बांध रखी है ​कि उसे यह दिखाई नहीं देता कि आतंक के खात्मे के नाम पर पाकिस्तान को दी जा रही मदद के बावजूद आतंकी हमलों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है. तालिबानों की बढ़ती ताकत से उसका कोई लेना देना नहीं है. निश्चित रूप से अमेरिका को भी अपना वह चश्मा बदलना होगा जिससे उसे आतंकवाद सिर्फ दुनिया के उसी हिस्से में नजर आता है, जहां उसके सैनिक घिरे होते हैं।
पाकिस्तान को उसके हुक्मरानों की दोहरी नीति (आतंकवाद को दूसरों के खिलाफ इस्तेमाल करने और अपने मामले में विलाप करने) की कीमत चुकानी पड़ रही है। इसी दोहरे रवैये ने आज ऐसी हालत पैदा कर दी है कि पाकिस्तान की सत्ता आतंकवादियों के सामने इस कदर असहाय नजर आती है। इस तेजी से फैल रही आग पर काबू पाने के लिए वहां के राजनीतिक नेतृत्व को अपनी दुविधा से उबरना होगा। अपने पूर्वाग्रह छोड़ कर पाकिस्तान और भारत मिलकर इसका मुकाबला कर सकते हैं।


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Saturday, March 28, 2009

हारे 25 बार, उत्साह फिर भी बरकरार

लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार 26वीं बार अपने भाग्य का फैसला मतदाताओं पर छोड़ने को तैयार है। इसमें भी आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि वह 25बार चुनाव लड़ने के बावजूद एक बार भी मतदाताओं का विश्वास नहीं जीत सके। फिर भी पूरे उत्साह से चुनावी मैदान में हैं। यह उम्मीदवाद हैं उड़ीसा के 73वर्षीय के श्याम बाबू सुबुधि। पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर श्याम बाबू अस्का और बहरामपुर संसदीय क्षेत्रों से एक साथ अपनी किस्मत आजमाएंगे। वह 1957 से लगातार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन एक बार भी जीत नहीं सके हैं।
श्याम बाबू का कहना है कि उन्होंने कभी किसी पार्टी का दामन थामने का प्रयास नहीं किया क्योंकि उनका मानना है कि उनकी संघर्षशीलता देखकर लोग राजनीति में आने का साहस बटोर सकते हैं।
श्याम बाबू 15 बार लोकसभा और 10 बार विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री पी।वी. नरसिंम्हाराव, उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और मौजूदा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के खिलाफ भी लड़ चुके हैं।


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मैडम का मेकअप बिगड़ा तो ....

लखनऊ में एक आईएएस की पत्नी का मेकअप खराब करना ब्यूटी पॉर्लर को इतना महंगा पड़ा कि अफसर ने उसपर ताला जड़वा दिया। अफसर का नाम आलोक रंजन बताया जाता है और वो नगर विकास निगम के प्रमुख सचिव है। शगुन ब्यूटी पार्लर की मालकिन विनिता ने बताया कि रंजन की पत्नी सुरभि रंजन अक्सर उनके ब्यूटी पार्लर में मेकअप करवाने आती थीं।
होली के पहले 5 मार्च को सुरभि जब मेकअप के लिए आईं तो काफी मेहनत से उनका मेकअप किया गया। लेकिन इसके बावजूद वो ब्यूटीपार्लर के काम से खुश नहीं हुई। शाम को उनका फोन आया कि मेकअप करने से उनके चेहरे पर काले धब्बे बन गए हैं। विनिता ने कहा कि वे पार्लर आ जाएं तो वो उन्हें ठीक कर देंगी।
इसपर अफसर की पत्नी ने टाइम न होने की बात कही। तब विनिता ने कहा कि वो खुद उनके घर आकर मेकअप ठीक कर देंगी तो जवाब मिला कि इसकी जरूरत नहीं हैं लेकिन आगे से उनका फेशियल मशीन से न किया जाए।
विनिता ने समझा कि बात आई गई हो गई लेकिन कुछ दिन पहले जब मैडम फिर आईं तो उस लड़की पर भड़क गईं जिसने पिछली बार उनका मेकअप किया था। यही नहीं उन्होंने पार्लर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की और विनिता को जेल भिजवाने की भी धमकी दी। मैडम को जब इससे भी सुकून नहीं मिला तो उन्होंने पार्लर पर ताला जड़ दिया और चली गईं। सुबह विनिता उनके घर गईं और माफी मांगी। विनिता के मुताबिक उन्होंने मैडम के पैर तक छुए और पार्लर खुलवाने की गुहार लगाई लेकिन मैडम ने एक नहीं सुनी। विनिता घर लौटीं तो पता चला कि पॉर्लर पर नगर निगम ने ताला जड़ दिया है। उनपर आठ लाख रुपये टैक्स बकाया होने का आरोप लगाया गया।


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Monday, March 23, 2009

शॉटगन को टक्कर देंगे 'लव गुरु'


प्रोफेसर से 'लव गुरु' के रूप में चर्चित हुए मटुकनाथ पटना साहेब संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। मटुकनाथ बॉलिवुड में शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा को कड़ी टक्कर देने के मूड में हैं। गौरतलब है कि अपने से आधी उम्र की अपनी शिष्या जूली के साथ प्रेम-प्रसंग को लेकर प्रफेसर मटुकनाथ पूरे देश में चर्चा के विषय रहे थे।
'लव गुरु' मटुकनाथ चुनाव जरूर लड़ रहे हैं, पर उनका कहना है कि वह राजनीति के लिए प्रेम का बिजनस नहीं करना चाहते हैं। मटुकनाथ का कहना है कि वह चुनाव इसलिए लड़ रहे हैं क्योंकि उनकी दिली इच्छा है कि राजनीति में भी प्रेम पनपे। मटुकनाथ चुनाव चिह्न भी 'दिल' चाहते हैं। मटुक बाबू का कहना है कि उन्होंने इंडिपेंडंट कैंडिडेट के रूप में पटना से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। साथ ही चुनाव आयोग से वह अपील करेंगे कि उन्हें चिह्न के रूप में दिल का सिंबल मिले। चुनाव जीतने के बाद उनकी प्राथमिकताओं के बारे में पूछने पर लव गुरु का कहना है कि वह दुनिया को प्रेम का संदेश देना चाहते हैं। मटुक बाबू के मुताबिक, जो व्यक्ति लोगों से प्रेम से करता है वही आम जनता के लिए व्यापक काम कर सकता है। गौरतलब है कि शादीशुदा और एक पुत्र के पिता मटुकनाथ में उस समय चर्चा में आए थे, जब वे अपनी स्टूडंट जूली के साथ अपने सरकारी प्रफेसर क्वार्टर में अकेले रहते हुए पकड़े गए थे। पटना यूनिवर्सिटी के बीएन कॉलिज के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष मटुकनाथ और जुली के इस प्रेम प्रसंग का मामला मीडिया में आने के बाद यूनिवर्सिटी द्वारा उनसे शादीशुदा होते हुए भी जूली के साथ उनके संबंधों को लेकर और मीडियाकर्मियों तथा जुली की मौजूदगी में कॉलिज में क्लास लेने के आरोप में सस्पेंड कर दिया था।


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Saturday, March 21, 2009

हैमिल्टन फतह, भारत ने रचा इतिहास


न्यूजीलैंड की धरती पर 33 साल बाद मिली जीत

वनडे सीरीज जीत कर इतिहास रचने के बाद टेस्ट में भी भारत ने इतिहास रचा। भारत ने पहला टेस्ट मैच न्यूजीलैंड से जीत लिया है। भारत ने न्यूजीलैंड को 10 विकेट से हराया। न्यूजीलैंड की धरती पर 33 साल बाद (1976में आखिरी बार जीते ) भारत की टेस्ट मैचों में यह जीत है। चौथे दिन जब टीम इंडिया खेलने के लिए उतरी, तो उसे महज औपचारिकता निभानी थी। भारत ने जीत के 39 रनों के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लिया। भारत की तरफ से दोनों ओपनर गंभीर और द्रविड़ नाबाद रहे। गंभीर ने 30 और द्रविड़ ने 8 रन बनाए। पहली पारी में शानदार सेंचुरी लगाने वाले सचिन तेंडुलकर मैन ऑफ द मैच रहे। इसके पहले भारत ने दूसरी पारी में न्यू जीलैंड को 279 रनों पर समेट दिया। गौरतलब है कि न्यू जीलैंड ने दोनों पारियों में 279 रन बनाए।


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अफ्रीका के जंगल में दिखा गुलाबी हाथी














निश्चित तौर पर शिविर में सभी के लिए बहुत ही उत्साहजनक क्षण था, हम जानते थे कि ये बहुत ही दुर्लभ क्षण हैं। किसी को भी अपनी आंखों पर यक़ीन नहीं हो रहा था.
माइक होल्डिंग
कुछ दिनों पहले एक फोटोग्राफर ने अफ्रीका के जंगल में गुलाबी हाथी के बच्चे को को कैद किया है। बोट्स्वाना के जंगल में देखे गए इस हाथी के बचने को लेकर विशेषज्ञों को काफी आशंकाएं हैं। उनका मानना है कि यह एल्बिनो नस्ल का हाथी रहा होगा, जिसके बचने की संभावना काफी कम है। उनका मानना है कि अफ्रीका के जंगलों में चिलचिलाती सूरज की किरणों की वजह से उसे अंधापन और चमड़े की बीमारी हो सकती है।
बीबीसी वाइल्ड लाइफ प्रोग्राम के लिए फिल्म की शूटिंग कर रहे माइक होल्डिंग ने ओकावेंगो नदी के पास 80 हाथियों के समूह में एक गुलाबी रंग के हाथी बच्चे को जाते देखा और उन्होंने इस दृश्य को कैमरे में कैद करने में तनिक भी देरी नहीं की। माइक होल्डिंग गुलाबी हाथी को कैमरे में कैद करने के पल को याद करते हुए कहते हैं, 'हमने उसे केवल कुछ मिनटों के लिए देखा और हमें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वह अपने झुंड के साथ नदी को पार कर रहा था। यह पूरी टीम के लिए बहुत ही उत्साहजनक क्षण था, हम जानते थे कि ये बहुत ही दुर्लभ क्षण हैं।' बीबीसी के मुताबिक पर्यावरणविद माइक चैस का कहना है कि वह सिर्फ तीन एल्बिनो हाथी के बच्चों के बारे में जानते हैं, जो कि दक्षिण अफ्रीका के क्रुगर नेशनल पार्क में पाए गए हैं।
चैस बताते हैं, 'इस क्षेत्र में हम पिछले 10 साल से हाथियों के बारे में अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब एल्बिनों हाथी के बारे में तथ्य मिल पाए हैं।' वह कहते हैं कि इस प्रजाति के हाथी का लंबी उम्र तक बचना मुश्किल होता लेकिन ओकावेंगो डेल्टा की परिस्थितियां इसके लिए मददगार साबित हो सकती हैं। चैस के मुताबिक हाथी तुलनात्मक रूप से आसानी से परिस्थितियों से तालमेल बैठा लेते हैं। ओकावेंगो डेल्टा के लंबे पेड़ों की छाया और कीचड़ में रहकर यह हाथी बच सकता है।


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Friday, March 20, 2009

सचिन का 42वां टेस्ट शतक



हैमिल्टन। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के शानदार शतक के बाद टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को करारे झटके देकर पहला टेस्ट जीतने का प्लेटफार्म तैयार कर लिया है। सचिन ने न सिर्फ 42वां टेस्ट शतक जमाया बल्कि पारी के सूत्रधार की भूमिका निभाते हुए भारत को पहली पारी में 520 रन का विशाल स्कोर भी दिया जिससे मेहमान टीम को 241 रन की बढ़त मिली। उन्होंने 260 गेंदों में 26 चौकों की मदद से 160 रन की दमदार पारी खेली।
कप्तान महेंद्र सिंह धौनी [47] और जहीर खान [नाबाद 51] ने भी उपयोगी पारियां खेली। सेडन पार्क की पिच से मिल रही मदद का फायदा उठाकर भारतीय बल्लेबाजों ने मेजबान को पूरी तरह बैकफुट पर पर ला दिया। न्यूजीलैंड के दूसरी पारी के तीन विकेट 75 रन पर गिर गए। वह अभी भी 166 रन से पीछे है। मैच में दो दिन बाकी है और भारत को तीन मैचों की सीरीज में 1-0 से बढ़त लेने से रोकने के लिए मेजबान टीम को काफी पापड़ बेलने होंगे। भारत ने दिन की आखिरी गेंद पर रात्रिप्रहरी काइल मिल्स का विकेट चटकाया।


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Thursday, March 19, 2009

उमा के बदलते बयान

पहले
'आपको (लाल कृष्ण आडवानी ) छोड़ूंगी नहीं, पीएम नहीं बनने दूंगी...'
अब
'आडवानी से बेहतर पीएम कोई नही '

नेताओं के बयान कैसे बदलते हैं, उमा भारती इसका उदारण हैं। कल तक आडवाणी को वह कोसती थीं और आज उन्हें ही पीएम पद के लिए सबसे अच्छा कैंडिडेट बता रही हैं। उमा भारती ने बुधवार को कहा कि वह चाहती हैं कि इस बार आडवाणी प्रधानमंत्री बनें क्योंकि उनसे समझदार नेता देश में दूसरा नहीं है। आडवाणी को पिता समान बताते हुए उमा ने उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत बताया।
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अब जरा चार महीने पीछे जाएं। नवंबर में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उमा का मुकाबला बीजेपी से था और वह पानी पी-पीकर पार्टी को कोसती थीं। उन्होंने कहा था कि वह किसी भी कीमत पर आडवाणी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगी।
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एक इंटरव्यू के अंश
उमा भारती - 'मैं तो रात-दिन इसके लिए मेहनत कर रही हूं कि भारतीय जनशक्ति की सरकार बने। भारतीय जनशक्ति की सरकार अगर यहां बनेगी तो मैं लक्ष्य केंद्र पर भी रखे हुए हूं। फिर मैं आडवाणी जी को प्रधानमंत्री बनने से रोकूं। क्योंकि मुझे बहुत डर लग रहा है। आडवाणी जी ने प्रधानमंत्री बनने के लिए, आपको पता नहीं, कौन सी देहरी नहीं छोड़ी।
पहले वो राम की देहरी में मत्था टेके। तो उसमें अटल जी बन गए धोखे से। उसके बाद वो जिन्ना की देहरी पर मत्था टेके तो फिर उनका हिसाब-किताब गड़बडा गया। उनको अध्यक्ष पद से ही निकाल दिया गया। अब उन्होंने अपने ईसाई होने का भी दावा कर दिया है, अगर आपको पता हो तो। अरे उन्होंने तो कह दिया ना कि मैं ईसाई स्कूल में पढ़ा हूं, ईसा मसीह को बहुत मानता हूं। ये बात उन्होंने पांच-सात साल नहीं कही होगी।
इसलिए मुझे बहुत डर लग रहा है कि जिस आदमी की असली रंगत ही न पता हो कि वास्तविकता क्या है, ऐसा व्यक्ति अगर एक घंटे के लिए भी प्रधानमंत्री के पद पर बैठ गया तो हे भगवान, इस देश को कौन बचाएगा। इसलिए मैं ये परम लक्ष्य मानती हूं अपना कि आडवाणी को पीएम बनने से रोकना है। मैं आज भी कहूंगी कि अर्जुन ने जब बाण चलाए तो भीष्म पितामह को प्रणाम करते हुए चलाए थे। तो मैं आपके माध्यम से आडवाणी जी को प्रणाम करूंगी और ये बाण चलाऊंगी कि आपने देश के साथ धोखा किया, आपने राम के साथ धोखा किया, आपने ईमानदार नेताओं को निकाला, आपने सत्ता के दलालों के कहने पर बीजेपी चलाई और हमारे जैसे ईमानदार लोगों का अपमान किया, इसकी माफी आपको देश की जनता से नहीं मिल सकती। आप पिता समान हैं। लेकिन आपको छोड़ूंगी नहीं, प्रधानमंत्री नहीं बनने दूंगी।'


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Tuesday, March 17, 2009

टीम इंडिया की मस्ती





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जबान पर पर लगाम रखें वरुण

बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार वरुण गांधी के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण से बैकफुट पर आई पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों को सलाह दी कि वे अपने चुनावी भाषणों में जबान पर लगाम रखें। मेनका गांधी और दिवंगत संजय गांधी के बेटे वरुण के भड़काऊ भाषण के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, 'पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों से कहा है कि वे देते वक्त जबान पर लगाम रखें। पूरी तरह से संयम से काम लें।' यह पूछे जाने पर कि वरुण के खिलाफ क्या पार्टी ऐक्शन लेगी? इस पर उन्होंने कहा की हम इस तरह के विचारों से सहमत नहीं हैं।' बीजेपी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने भी वरुण के भाषण की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, 'ऐसे विचारों की पार्टी में कोई जगह नहीं है।'
गौरतलब है कि वरुण गांधी ने एक चुनावी रैली में कहा था, 'यह हाथ नहीं है। यह कमल है। यह ...का सर काट देगा, जय श्रीराम।' एक अन्य सभा में उन्होंने कहा, 'अगर कोई हिंदुओं की तरफ उंगली उठाएगा या समझेगा कि हिंदू कमजोर हैं और उनका कोई नेता नहीं हैं, अगर कोई सोचता है कि ये नेता वोटों के लिए हमारे जूते चाटेंगे तो मैं गीता की कसम खाकर कहता हूं कि मैं उस हाथ को काट डालूंगा।' वरुण ने कहा, 'जो हाथ हिंदुओं पर उठेगा, मैं उस हाथ को काट दूंगा।'
वरुण गांधी ने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा, गांधीजी कहा करते थे कि कोई इस गाल पर थप्पड़ मारे तो उसके सामने दूसरा गाल कर दो ताकि वह इस गाल पर भी थप्पड़ मार सके। यह क्या है। अगर आपको कोई एक थप्पड़ मारे तो आप उसका हाथ काट डालिए कि आगे से वह आपको थप्पड़ नहीं मार सके।


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जबान पर पर लगाम रखें वरुण


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Saturday, March 14, 2009

कहीं फ़िर बेवकूफ न बनें

पांच साल तक जनता के बीच से नदारद रहे वो चेहरे, अब एक बार फ़िर जननायक होने की दुहाई देंगे क्योंकि एक बार फ़िर चुनावी रणभेरी बज चुकी है। और मौका है एक बार फिर से बेवकूफ बनने का। साल-दर-साल ये कहानी दोहराई जा रही है। इस बार भी कोई नई नही है। बिसात वही होगी, कुछ मोहरे बदल दिए जाएंगे। बाकि का काम जनता ख़ुद बा ख़ुद कर लेगी। उसकी आंखों में फिर से पट्टी बंध जाएगी। सत्ता के जादूगर रात के अंधेरे में घिनौने खेल-खेल कर सुबह, दोपहर निपट सफेद चोला पहन कर जनता को अपने रहस्यमयी व्यक्तित्व से मूर्ख बना जायेंगे।
सत्ता बेईमानो के चंगुल में है और अपराधी ही नेता बने बैठे हैं। क्या कोई सत्ता से बेईमानों को बाहर करने का रास्ता दिखा पाएगा? या फिर हम चिरकाल तक अयोग्य नेताओं से आस बांधे रहेंगे। ईमानदारों के लिए सत्ता में जगह नहीं और बेइमानों के लिए जगह की कमी नहीं। हमारे देश में नेता रात के अंधेरे में रावण हैं और दिन के उजाले में मर्यादा पुरूषोतम राम होने का दावा करते हैं। दोहरा चरित्र आज हिंदुस्तान को ऐसे दोहराव पर ले आया है कि समझ नहीं आता कि हम भारतीय होने का शोक मनाएं या गर्व करें।
ऐसी राजनीती में जितना दोष नेताओं का है उससे कहीं ज्यादा जनता का। जनता के खून पसीने के अरबों रुपये ये नेता अब कुर्सी के लालच में फूंक डालेंगे ओर जनता को आस होगी विकास की। हमें ऐसे नेता को पहचानना होगा। वैसे यह भी बेहद मुश्किल है क्योंकि बेदाग प्रतिनिधि को कोई पार्टी पूछती ही नही है। बेइमानों के लिए कसीदे गढ़ने में मीडिया का जवाब नहीं। किसी भी भ्रष्ट को छाप दीजिए बस अगले चार दिन बाद वही बेइमान किसी दल का भावी उम्मीदवार होता है। सच यह है कि हम लोग अब भ्रष्टाचार को पसंद कर रहे हैं ओर भ्रष्टाचारी हमारे आदर्श बन चुके हैं।
वास्तव में एक नई क्रांति की ज़रूरत आन पड़ी है। ऐसी क्रांति जिसमे हर व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से योगदान करना होगा, अपने ऐसे जनप्रतिनिधियों को देश की कु-सेवा से दूर करने का। मुझे एक टीवी ऐड यद् आ रहा है जिसमे संदेश दिया जाता है की अगर हम वोट देने नही जातें हैं तो इसका मतलब हम सो रहे हैं।
मेरा कहना है की अगर हम बेईमानों, अपराधियों और देश को गर्त में ले जाने वाले सफेदपोश को अपना वोट दे रहे हैं तो इसका मतलब हम अभी चिर निद्रा में ही हैं, हमें अपने देश की चिंता ही नही है।


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... तो वोटरों को रिश्वत देना माना जाएगा

होली मिलन समारोह में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के सौ-सौ के नोट बांटने की कथित घटना से निर्वाचन आयोग चुनाव आचार संहिता को लेकर और भी अधिक सतर्क हो गया है। उम्मीदवार अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को टोपियां और स्कार्फ बांटते हैं तो उसके खर्चे का बाकायदा रेकॉर्ड देना होगा। नही देने पर इसे वोटरों को रिश्वत देना माना जाएगा।

नही पहना सकते साड़ी-कमीज
पार्टी उम्मीदवारों की तरफ से अगर कार्यकर्ताओं को साड़ियां और शर्ट बांटी जाती हैं, तो इसे प्रलोभन की कैटिगरी में रखा जाएगा। जैसे कि वोटरों को रिश्वत दी गई हो। लिहाजा उम्मीदवार का यह कदम आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा। इसी तरह यदि मोटर वाहनों की स्टेपनी पर पार्टी चिह्न वाले कवर लगाए जाते हैं, तो इसे भी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे किसी भी तरह के वितरण की शिकायत डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट से की जा सकती है।
पब्लिशर-प्रिंटर का पता जरूरी
जिस उम्मीदवार के पक्ष में ये हैंड बिल या पर्चे गिराए जाते हैं, उस उम्मीदवार को इस प्रचार के खर्च का पूरा ब्यौरा आयोग को देना होगा। आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी तरह से प्रचार पोस्टरों, हैंड बिलों या पर्चों पर प्रिंटर और पब्लिशर का पता छपा होना अनिवार्य है। यदि किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में बांटे जा रहे पोस्टरों पर प्रिंटर व प्रकाशक का पता नहीं लिखा है, तो उसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन माना जाएगा।
प्लास्टिक शीट पर बैन नहीं
आयोग ने प्रचार सामग्री तैयार करने में प्लास्टिक शीट के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। न ही इसे आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में लाया गया है। राजनीतिक दलों से अपील की गई है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जागरूकता प्रदर्शित करते हुए बैनर और पोस्टरों के लिए प्लास्टिक या फिर पॉलिथीन मटीरियल का उपयोग न करें।
लिखित अनुमति लेनी होगी
कोई भी उम्मीदवार या उसके समर्थक व पार्टी कार्यकर्ता किसी की निजी संपत्ति या मकान पर पार्टी झंडा, होर्डिन्ग, पोस्टर व बैनर नहीं लगा सकते। यदि कोई उम्मीदवार ऐसा करना चाहता है तो उसे पहले संपत्ति के मालिक से लिखित अनुमति लेनी होगी। उस अनुमति की कॉपी तीन दिन के अंदर रिटर्निन्ग ऑफिसर या फिर तैनात संबद्ध अधिकारी को देनी होगी। उसके बाद ही किसी निजी प्रॉपर्टी पर बैनर व पोस्टर लगाए जा सकेंगे।


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Thursday, March 12, 2009

ब्रांड धोनी की कीमत 300 करोड़


जी हां, 300 करोड़। एड और मार्केटिंग वर्ल्ड का अंदाजा है कि ब्रांड धोनी की कीमत 300 करोड़ रुपए है। कई एक्सपर्ट तो मानते हैं कि धोनी ब्रांड की कीमत इससे कहीं ज्यादा है। बाजार धोनी की इतनी कीमत तब लगा रहा है जबकि वो देश के बेस्ट क्रिकेटर नहीं माने जाते। धोनी इस समय ऐड का ऐसा चमकता सितारा है कि हर कंपनी चाहती है कि वो किसी कॉम्पिटिटर के लिए ऐड न करें। इसके लिए वो धोनी के साथ एक्सक्लिसिविटी एग्रीमेंट करते हैं। और जाहिर है धोनी को ऐसे हर एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रेक्ट के लिए और भी रकम मिलती है।
एड टाइम के मामले में तेंडुलकर उनसे एक तिहाई बैठते हैं। ऐड टाइम के मामले में शाहरुख नंबर वन, धोनी नंबर टू और तेंडुलकर नंबर तीन है। पेप्सी यंगिस्तान के ऐड से शाहरुख और तेंडुलकर आउट कर दिए गए हैं जबकि वही पेप्सी धोनी के साथ दस साल का कॉन्ट्रेक्ट कर लेती है।
  • धोनी की हर डील एवरेज तीन साल के लिए होती है। इस समय वो 19 ब्रांड के लिए विज्ञापन करते हैं। यानी सिर्फ इन कॉनट्रेक्ट से उन्हें हर साल 95 करोड़ रुपए मिलते हैं। लेकिन इनमें से कुछ कॉन्ट्रेक्ट लंबे समय के लिए हैं। माना जाता है कि पेप्सी और रिबॉक के साथ उनका कॉन्ट्रेक्ट 10 साल के लिए है। यानी 100 करोड़ तो धोनी को यहीं से मिलेंगे। जाहिर है इस समय धोनी की हैसियत 300 करोड़ से कहीं ज्यादा है।
  • और ये कमाई सिर्फ विज्ञापनों की है। मैच फीस और इसके अलावा अलग अलग सरकारों और कंपनियों से मिलने वाले इनाम और कई और तरह की आमदनी इससे अलग है। हम शायद ये अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि बॉस की तिजोरी में कितना माल है।
  • जब कोई ब्रांड किसी स्पोर्ट्स स्टार के साथ कॉन्ट्रेक्ट करता है तो परफॉर्मेंस इंसेंटिव भी उसमें जुड़ा होता है। यानी धोनी जब भी कोई बड़ा स्कोर खड़ा करते हैं या कोई रिकॉर्ड तोड़ते हैं तो उनके कॉन्ट्रेक्ट में और रकम जुड़ जाती है।
  • कॉन्ट्रेक्ट इस तरह किया जाता है कि अगर वो जख्मी हो जाएं या नहीं खेल पाएं तो भी कॉन्ट्रेक्ट की बेस प्राइस उतनी ही बनी रहती है। अभी धोनी में इतना दम है कि वो कॉन्ट्रेक्ट में ऐसी शर्तें डलवा पाते हैं। कप्तानी छूटने पर भी उनके कॉन्ट्रेक्ट बने रहेंगे।


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Tuesday, March 10, 2009

..और इस तरह हुई एक मेडिकल छात्र की मौत

हिमाचल प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज के प्रथम वर्ष के छात्र अमन काचरू की रैगिंग के चक्कर में जान चली गई। गुड़गांव के रहने वाले अमन ने पिछले साल ही प्रदेश के डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया था।
पिछले दिनों अमन के सीनियर छात्रों ने प्रथम वर्ष के सभी छात्रों को रैगिंग के लिए बुलाया था। रैगिंग के दौरान ही सीनियर शराब के नशे में अमन के साथ मारपीट करने लगे। इस मारपीट में अमन बुरी तरह घायल हो गया था। जिसके बाद उसकी जान चली गई।
शुरुआती दौर में तो कॉलेज प्रशासन किसी भी प्रकार की रैगिंग से इंकार करता रहा। यहां तक की कॉलेज प्रशासन अमन की हत्या को आत्महत्या बताया था। लेकिन मुख्यमंत्री के द्धारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद कॉलेज प्रशासन ने चार छात्रों समेत वार्डन को भी बर्खास्त कर दिया गया है।
डॉ. अजय वर्मा ने 7 तमाचे मारे थे
शिमला 19 साल का अमन सत्या काचरु ने बड़े खुशी-खुशी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कालेज में प्रवेश लिया था लेकिन उसे तब शायद नहीं पता था कि रैगिंग के नाम पर उसके सीनियर उसकी जान ले लेंगे। लेकिन ऐसा हुआ है और 2 सीनियर छात्र अपने जूनियर छात्र की मौत का कारण बन गए। जीं हां अमन सत्या काचरु अब भले ही हमारे बीच न हो लेकिन उसका लिखा खत चीख-चीख कर उसकी मौत के कारणों और कातिलों की तरफ सकेंत कर रहे हैं।
यह खत स्पष्ट बताता है कि जहां जिंदगी को बचाने के लिए लोग दीक्षित होने के लिए आते हैं वहां अब मौत बांटी जा रही है। देश का कानून है, वह अब इस मामले पर आगे की कार्रवाई भी करेगा लेकिन एक मां का लाल, एक बहन का भाई, एक पिता का पुत्र और एक होनहार डॉक्टर अमन सत्या काचरु अपने सपने के साथ इस दुनिया से चला गया। अब एक मातम है, एक घना अंधकार, और एक दागदार चीख जो पूरी व्यवस्था पर एक प्रश्ववाचक चिन्ह है?
अमन सत्या काचरु ने प्रशासन को भेजे गए इस पत्र में लिखा था कि डॉक्टर अजय वर्मा, नवीन वर्मा, अभिनव वर्मा और मुकुल वर्मा ने उसे और अन्य 12 छात्रों को लगभग दो घंटे तक टॉर्चर किया।
अमन सत्या काचरु ने अपने इस खत में लिखा था कि उसे और उसके अन्य साथियों को इन चारों ने बुरी तरह से पीटा था। अमन लिखता है कि उसे डॉक्टर अजय वर्मा ने एक बाद एक 5 तमाचे मारे थे।
इस पूरी घटना के बाद अमन ने दर्द की शिकायत की थी जिसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था जहां उसकी बाद में मौत हो गई।
पुलिस ने इस पूरें मामले पर घारा 304 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है, पुलिस का कहना है कि छात्र की मौत में रैंगिग का सीधा संबध नजर आता है।


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होली की शुभकामना










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Monday, March 9, 2009

500 रुपये में दी गांधी की तस्वीर


जिस दिन गांधी जी की पांच निजी चीजों को खरीदने के लिए उद्योगपति विजय माल्या न्यूयॉर्क में बोली (9 करोड़ 30 लाख रुपये की) लगा रहे थे, उसी दिन साबरमती आश्रम को एक शख्स ने गांधीजी की दुर्लभ तस्वीर भेंट की। साबरमती आश्रम में गांधीजी की चीजों का नायाब संग्रह है और राधेश्याम अजमेरी (55) को दुर्लभ चीजों के संग्रह का शौक है।
उन्होंने गांधीजी की तस्वीर के बदले आश्रम से कुछ नहीं मांगा। काफी आग्रह के बाद उन्होंने 500 रुपये की सांकेतिक रकम स्वीकार की। गांधी स्मारक संग्रहालय के डाइरेक्टर अमृत मोदी ने कहा कि वह आश्रम के लिए गांधीजी से जुड़ी काफी चीजें लाते रहे हैं। अनुमान है कि फ्रेम में जड़ी गांधीजी की यह तस्वीर किसी स्टूडियो में खींची गई होगी।
तस्वीर में कम उम्र के गांधीजी कश्मीरी टोपी पहने हुए अपने दो दोस्तों के साथ नजर आ रहे हैं। अजमेरी ने यह तस्वीर साबरमती किनारे लगने वाले साप्ताहिक गुर्जरी बाजार से पिछले रविवार को खरीदी। उन्होंने इसे गांधी जी की दो पेंटिंगों के साथ 200 रुपये में खरीदा। अजमेरी ने कहा, बेचने वाले को अंदाजा नहीं था कि यह गांधी जी की तस्वीर है। मैं नियमित रूप से आश्रम में आता हूं, जहां गांधीजी की कम उम्र की कई तस्वीरें हैं। इसलिए मैंने इसे आसानी से पहचान लिया।


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'कश्मीर न सुलझा तो और करगिल होंगे'

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने चेताया है कि पाकिस्तानी समाज में काफी 'मुजाहिदीन' और 'आजाद जिहादी' हैं, जिनका कश्मीरियों की समस्याओं से भावनात्मक रिश्ता है। और अगर कश्मीर मुद्दा लंबे समय तक अनसुलझा रहा तो करगिल जैसे और विवाद हो सकते हैं। मुशर्रफ को एक सेमिनार में कई असहज सवालों का सामना करना पड़ा। तीन घंटे की चर्चा के दौरान कई सवालों पर उनकी चिढ़ भी दिखी। खासकर, जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान से आतंकवाद क्यों जारी है, करगिल की घटना क्यों हुई और क्या भारत पाकिस्तानी सेना व आईएसआई पर भरोसा कर सकता है।
करगिल पर जब समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह ने पूछा कि अगर वह शांति चाहते थे तो पाकिस्तान इस तरह की गतिविधि में क्यों शामिल हुआ। मुशर्रफ ने यह कहकर जवाब टाल दिया कि यह संवेदनशील मुद्दा है। भारत में आतंकवाद का मुख्य कारण कश्मीर समस्या है (तो फ़िर पाकिस्तान का इसमे क्या रोल है)। लश्कर-ए-तयबा और जैश-ए-मोहम्मद वजूद में इसलिए आए कि पाकिस्तान में कश्मीरी जनता के प्रति सहानुभूति है (अपने घर में आग लगी है तो दूसरी जगह निगाह रखना कोई आपसे सीखे) । मुशर्रफ ने कहा कि पाक सरकार को मुंबई हमले के मामले में सहयोग करना चाहिए। हालांकि उन्होंने भारत पर युद्धोन्माद पैदा करने का आरोप लगाया (क्योंकि शर्म हमको नही आती)।


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और, मुशर्रफ जी ! जवाब मिल गया ना?

पाकिस्तान आग के ढेर पर बैठा है पर उसके हुक्मरान इसे स्वीकार करना नहीं चाहते। लेकिन वह दूसरों को नसीहत देने से बाज नही आता। पाकिस्तान के पूर्व प्रेजिडेंट, माफ़ कीजियेगा सेना के जनरल रहे परवेज मुशर्रफ इन दिनों हमारे देश के दौरे पर हैं। उनका दौरा एजुकेशनल है और मुशर्रफ जी कुछ लेक्च्रर वगैरह देने आए हैं। मगर भारत से खुन्नस ऐसी की एजुकेशनल टूर को भी कूटनीतिक रंग देने से नही चुके और भारतीय मुसलमानों को बरगलाने का प्रयास किया।
उन्होंने सोचा की वो जो भी कहेंगे धर्मं के आधार पर मुस्लिमो में उनकी छवि अच्छी होगी। दरअसल मुशर्रफ जी इतने नासमझ होंगे हमने सोचा नही था। भारतीय मुसलमान जानता है की हमारा हितैषी कौन है और अपने देश को कमज़ोर करने वालों को सबक किसे सिखाया जाता है। इसकी एक बानगी देखिये
राज्यसभा के सांसद और जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिन्द के नेता महमूद मदनी ने पाकिस्तानी नेता को साफ कर दिया कि उन्हें या उनके देश को भारत के मुसलमानों के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मुसलमान अपनी समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हैं, हमें आपकी सलाह की जरूरत नहीं है। मुस्लिम नेता महमूद मदनी ने जब मुशर्रफ से यह बात कही, तो उनका चेहरा देखने लायक था। मदनी ने कहा कि यहां (भारत) या पाकिस्तान में अपनी टिप्पणियों से आप भारतीय मुसलमानों को बांटने की कोशिश मत कीजिए। पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफ दिल्ली में एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने आए थे। उनके भाषण के बाद मदनी ने अपनी बात कही। मुशर्रफ ने कहा था कि भारत के मुसलमान अलगाव में हैं और यह यहां आतंकवाद के कारणों में से एक है।
मदनी ने कहा कि आप पाकिस्तान की राजनीति शुरू मत कीजिए। ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए मदनी ने कहा कि जितनी पाकिस्तान की कुल आबादी है उससे ज्यादा मुसलमानों की आबादी भारत में है। आपको यह पता होना चाहिए। जब मुशर्रफ ने कहा कि वह इस बारे में जानते हैं तो मदनी ने कहा कि आप जानते हैं तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि भारतीय मुसलमानों में अपनी समस्याओं को सुलझाने की क्षमता है, हमें आपकी सलाह की जरूरत नहीं है।
मुशर्रफ को मदनी ने जो करारा जवाब दिया है उससे पाकिस्तान को समझ जाना चाहिए भारतीय मुस्लमान अपने देश को उनके नागरिकों से कही ज्यादा समझते हैं। आतंकवाद की आग आपने ख़ुद ही लगाई है और बुरी तरह झुलसने के बाद भी हवा देने में लगे हैं। तो आप ही उसमे जलिए न और अपने देश को नेस्तनाबूद होते देखते रहिये। हमें बरगलाने की कोशिश करेंगे तो जवाब देने से पीछे नही हटेंगे भारतीय मुस्लमान।


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'गोल्डन केला' अवार्ड हिमेश और प्रियंका को


कुछ दिन पहले पिछले साल की सबसे अच्छी फिल्मों को फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के बाद बारी थी सबसे खराब फिल्मों को अवॉर्ड्स देने की। शुक्रवार को यह अनोखा अवॉर्ड समारोह हुआ और दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में गोल्डन केला अवॉर्ड्स दिए गए। यह अवॉर्ड्स 2008 की सबसे खराब फिल्मों और परफॉर्मन्स के लिए दिए गए। अवॉर्ड्स की कुछ खास बातें -

  • सबसे खराब ऐक्टर का अवॉर्ड मिला सिंगर और म्यूजिक डाइरेक्टर से ऐक्टर बने हिमेश रेशमिया को उनकी फिल्म 'कर्ज' के लिए।
  • बेस्ट ऐक्ट्रिस का फिल्मफेयर अवॉर्ड पाने वालीं प्रियंका चोपड़ा को 'लव स्टोरी 2050' के लिए सबसे खराब ऐक्ट्रिस का अवॉर्ड दिया गया।
  • सबसे खराब न्यूकमर का अवॉर्ड भी इसी फिल्म के लिए हरमन बावेजा को दिया गया।
  • सबसे खराब फीमेल न्यू कमर रहीं 'रब ने बना दी जोडी़' की अनुष्का।
  • 'थोड़ी लाइफ, थोड़ा मैजिक' फिल्म के लिए कुनाल कोहली को सबसे खराब डाइरेक्टर का केला अवॉर्ड दिया गया।
  • सबसे खराब सपोर्टिन्ग ऐक्टर रहे सलमान खान अपनी फिल्म 'हेलो' के लिए।
  • कंगना रणौत सबसे खराब सपोर्टिन्ग ऐक्ट्रिस रही। उन्हें फिल्म फैशन में उनकी ऐक्टिंग के लिए यह केला अवॉर्ड मिला।
  • सबसे इरीटेटिंग सॉन्ग का गोल्डन केला अवॉर्ड फिल्म 'कर्ज' के लिए तंदूरी नाइट्स.... गीत को मिला।
  • 'मोस्ट ऑरिजनल स्टोरी' का केला थमाया गया 'हैरी पुत्तर' को।
  • गंभीर मुद्दे पर सबसे खराब फिल्म के लिए 'लज्जा' अवॉर्ड गया कमाल खान की फिल्म 'देशद्रोही' को। इस फिल्म को इनसेंसिटिविटी अवॉर्ड, सबसे खराब डाइलॉग डिलीवरी और खराब ऐक्संट के लिए दारा सिंह अवॉर्ड भी मिला।
  • सबसे खराब ऐक्संट के लिए दारा सिंह सिंह अवॉर्ड की फीमेल हकदार रहीं कटरीना कैफ।
  • इस समारोह में मशहूर कॉमिडियन जसपाल भट्टी चीफ गेस्ट थे। उन्हें लाइफ टाइम अचीवमंट अवॉर्ड दिया गया।
  • उनके अलावा इन अवॉर्ड्स को लेने के लिए और कोई कलाकार मौजूद नहीं था।


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Sunday, March 8, 2009

सचिन ने किया न्यूजीलैंड का सूखा समाप्त


मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने रविवार को तीसरे वनडे में किवी गेंदबाजों के खिलाफ अपने पुराने रौद्र रूप का प्रदर्शन करते हुए न केवल न्यूजीलैंड में अपना पहला वनडे शतक पूरा किया। सचिन न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे वनडे में शतक बनाने की ठान चुके थे क्योंकि अभी तक वह इस देश में वनडे शतक नहीं लगा सके थे। इससे पहले उनका सर्वाधिक स्कोर 84 रन रहा था लेकिन मास्टर ब्लास्टर ने न्यूजीलैंड में शतक नहीं बनाने की प्रेतबाधा इस बार पार कर ली। सचिन ने 133 गेंदों पर 16 चौकों और पांच छक्के की मदद से 163 रन बना डाले।
एक समय जब ऐसा लग रहा था कि वे दोहरे शतक की ओर बढ़ रहे हैं और एक नया इतिहास रच सकते हैं ठीक उसी समय पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाने के कारण उन्हे रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से बाहर जाना पड़ा।
45 ओवर का खेल हुआ था और शेष 5 ओवर का खेल बचा हुआ था और जिस अंदाज में वे खेल रहे थे उससे सभी के मन में दोहरे शतक की उम्मीद बढ़ गई थी लेकिन पेट की मांसपेशी में आ रही समस्या के कारण उन्होंने स्वत: अपनी बल्लेबाजी पर विराम देना ही उचित समझा।
इससे पहले सचिन इसके पहले न्यूजीलैंड में खेले गए 21 वनडे मैचों में कोई भी शतक नहीं लगा पाए थे। उनका सर्वाधिक स्कोर 84 था और उन्होंने कुल पांच अर्धशतक बनाए थे लेकिन रविवार को 22वें वनडे में उन्होंने 163 रन की पारी खेल डाली। सचिन ने अब न्यूजीलैंड में खेले 22 मैचों में एक बार नाबाद रहते हुए कुल 821 रन बनाए हैं और उनका औसत 39.09 का है।


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3/3 घटनाक्रम- तैरते सवाल

  • 25 मिनट तक सुरक्षा बलों और हमलावरों के बीच क्रॉस फायरिंग होती रही, लेकिन एक भी आतंकवादी न तो मरा और न ही घायल हुआ। जबकि पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि सुरक्षा में तैनात जवानों ने जवाबी कार्रवाई की।
  • घटना के फौरन बाद आसपास के इलाके को सील कर आतंकवादियों की तलाशी के लिए कोशिशें क्यों नहीं की गईं?
  • इतने लंबे वक्त तक गोलीबारी होने के बावजूद चंद कदम के फासले पर स्थित गुलबर्ग पुलिस स्टेशन से दूसरी टुकड़ी नहीं पहुंची। लिबर्टी चौराहे पर पिकेट ड्यूटी पर तैनात पुलिस वालों का भी कोई अता-पता नहीं था।
  • घटना से 24 घंटे पहले क्रिकेटरों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे कुछ वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारियों का पंजाब के गवर्नर सलमान तहसीर ने तबादला किसके कहने पर किया?
  • जनवरी से ही श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमला हो सकने की खुफिया जानकारी पुलिस के पास थी। इस जानकारी को श्रीलंकाई सुरक्षा अधिकारियों के साथ दौर से पहले शेयर क्यों नहीं किया गया?
  • पाकिस्तान और श्रीलंका की टीम एक साथ ही स्टेडियम के लिए रवाना होती थीं, फिर हमले के दिन पाकिस्तान टीम 5 मिनट देर से क्यों रवाना की गई।
  • पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान यूनुस खान के पास मैच से पहले किसका फोन आया था, क्या यूनुस के कहने पर ही बस को देर से रवाना किया गया?
  • बिना किसी सबूत के घटना के चंद घंटों के भीतर ही हामिद गुल और सरकारी मीडिया के कुछ हलकों में भारत के इन हमलों के पीछे होने का अंदेशा जाहिर किया गया। इस मसले पर पाकिस्तान की सरकार ने अपना रुख साफ करने में तीन दिन का वक्त क्यों लगाया?
  • श्रीलंका के स्पिनर मुरलीधरन के मुताबिक हमलावरों को हमारे प्रोग्रैम और रूट की पूरी जानकारी थी और इसमें अंदर का कोई आदमी शरीक था। फिर भी पाकिस्तानी सुरक्षा बल आयोजन से जुड़े लोगों से पूछताछ नहीं कर रही है।
  • लाहौर के पुलिस कमिश्नर के मुताबिक पुलिस की गाड़ी सिर्फ क्रिकेटरों की बस को एस्कॉर्ट करने के लिए थी। सुरक्षा के तिहरे चक्र को भूल भी जाएं तो भी क्या एक भी अदद टुकड़ी सुरक्षा के लिए तैनात नहीं की जा सकती थी?


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Friday, March 6, 2009

लाहौर हमले में लश्कर का हाथ !

इस्लामाबाद।। लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमले की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों का इस हमले में हाथ हो सकता है। पिछले साल लश्कर के खिलाफ अभियान के बाद ये आतंकवादी भूमिगत हो गए थे। समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से बताया कि शुरुआती जांच से पता चलता है कि लश्कर के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने अपने बूते कार्रवाई की और हमले को अंजाम दिया।
गौरतलब है कि मुंबई हमले के बाद लश्कर और जमात-उद-दावा जैसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के बाद ये आतंकवादी भूमिगत हो गए थे और रावलपिंडी में छिप गए थे। हालांकि अधिकारी लश्कर के आतंकवादियों की संलिप्तता की पुष्टि नहीं कर रहे हैं लेकिन उन्होंने साफ तौर इस हमले में भारतीय खुफिया एजंसी रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग (रॉ)या लिट्टे की इस हमले में शामिल होने से इनकार किया है क्योंकि इस संबंध में अब तक कोई सबूत नहीं पाए गए हैं। क्रिकेट टीम पर हमले की जांच कर रहे अधिकारियों का मानना है कि हमलावरों को लश्कर के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी के कैम्पों में कमांडो ट्रेनिंग मिली और उनकी कार्यप्रणाली मुंबई हमले में शामिल आतंकवादियों की ही तरह थी। अधिकारियों ने जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद से भी संपर्क किया है ताकि आतंकवादियों को पकड़ने में वह उनकी मदद कर सकें। सईद फिलहाल लाहौर के जौहर शहर स्थित अपने घर में नजरबंद हैं।


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माल्या ने खरीदा बापू का चश्मा और सैंडल


शराबबंदी की वकालत करने वाले बापू का चश्मा और सैंडल उस व्यक्ति ने खरीदा जो देश में शराब का सबसे बड़ा विक्रेता है। वैसे वह धन्यवाद् का हकदार है क्योंकि बापू के सामान को वह भारत लाने में सफल रहा।

न्यूयॉर्क: भारत सरकार बापू के सामान की नीलामी नहीं रोक पाई। इस नीलामी में गांधीजी की पांच वस्तुए यानी उनका चश्मा, घड़ी, चप्पलें, प्लेट और कटोरी शामिल थीं। भारतीय उद्योगपित विजय माल्या ने 18 लाख अमेरिकी डॉलर ( करीब साढ़े 9 करोड़ रुपये ) में बापू का सामान खरीदा। इन वस्तुओं की आरक्षित कीमत 20 से 30 हजार अमेरिकी डॉलर रखी गई थी। वैसे इससे पहले भारतीय अधिकारियों की ओर से खबर आ रही थी कि सरकार के प्रयासों के चलते गांधीजी की वस्तुओं की नीलामी रुक गई है।

इस नीलामी में गांधीजी की पांच वस्तुए यानी उनका चश्मा , घड़ी , चप्पलें , प्लेट और कटोरी शामिल थीं। भारत के लिए सुकून की बात यह रही कि राष्ट्रपिता की यह वस्तुएं भारतीय बिजनसमन विजय माल्या ने खरीदी। उम्मीद है कि दो हफ्तों में विजय माल्या ये सामान भारत ले आएंगे। गौरतलब है कि 4 साल पहले जब लंदन के एक नीलामी घर में टीपू सुल्तान की तलवार की नीलामी हुई थी तो विजय माल्या 4 करोड़ रुपये में उसे खरीदकर भारत लाए थे।

माल्या की तरफ से बापू के सामान के लिए बोली लगाने वाले टोनी बेदी ने कहा कि वह देश के लिए बोली लगा रहे हैं और इस बिक्री का मतलब है कि गांधी की धरोहर भारत वापस आएगी। नीलामी घर में बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोग उपस्थित थे। जैसे ही बोली खत्म हुई और कहा गया कि ये धरोहर अब भारत ले जायी जा सकेंगी तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और लोग खुशी से झूम उठे।

वैसे नीलामी शुरू होने के कुछ घंटे पहले ही सूत्रों से आ रही खबर के अनुसार बापू के सामान के ओनर जेम्स ओटिस इस नीलामी को रद्द करने का फैसला कर लिया है। यहां संवाददाताओं से बातचीत में ओटिस ने कहा था - मैंने विवाद के कारण गांधी की निजी वस्तुओं को नहीं बेचने का फैसला किया है। न्यू यॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में भारतीय राजनयिकों और ओटिस के बीच लंबी बातचीत के बाद ओटिस ने यह घोषणा की थी। लेकिन ऐसे हो न सका और जब अधिकांश भारतीय नींद को आगोश में थे , तो दूसरी ओर अमेरिका में गांधीजी के सामान की बोली लग रही थी।


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Wednesday, March 4, 2009

’पाक’ खेल पर ’नापाक’ निशाना

सुधीर कुमार
भद्रजनों का खेल माना जाने वाला ’पाक’ खेल क्रिकेट अब आतंकवादियों के ’नापाक’ निशाने पर आ चुका है और इसकी एक बानगी उसने बेहद कायराना अंदाज में पाकिस्तान में श्रीलंकाई टीम के खिलाड़ियों पर अंधाधुंध फायरिंग कर पेश कर दिया है। अपने जन्म के साथ ही कट्टरपंथियों की गिरफ्त में बुरी तरह जकड़ जाने वाले पाकिस्तान ने कभी इससे निकलने की कोशिश भी नहीं की और इन कट्टरपंथियों ने यहां की सरकार की नपुंसकता का फायदा उठाते हुए धर्म की आड़ में ’जेहाद’ को हिंसा से जोड़ दिया। नतीजा यह निकला कि पूरी दुनिया में यह देश उग्र आतंकवादियों की खैर-ख्वाह के रूप में जाना जाने लगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान की सभी सरकारों ने भारत में सभी धर्मो के लोगों के बीच एकता और प्रेम को अपनी आंखों की किरकिरी मानकर इन आतंकवादियों को बढ़ाया ही दिया। इस बेलगाम बढ़ावे का फायदा उठाकर आतंकवादियों ने पूरी दुनिया को अपने गिरफ्त में लेने की कोशिश की। शायद इन्हें अमन-चैन से नफरत सी हो, इसलिए पाकिस्तान से बेहतर पनाह इन्हें और कहां मिल सकती थी?
बहरहाल, श्रीलंकाई टीम पर अंधाधुंध हमला कर इन दहशतगर्दो ने शायद यही पैगाम देने की कोशिश की है कि हमें ’सामान्य’ जैसा कुछ भी गंवारा नहीं। हर कुछ हमें असामान्य ही चाहिए। और, यह असामान्यता उनके लिए खौफ, हिंसा, हत्या और व्यभिचार से इतर बिल्कुल भी न हो। शायद तभी तो जिस श्रीलंका टीम ने हिम्मत जुटाकर पाकिस्तान में खेलों की बहाली के पाक प्रयासों को बल देने की कोशिश की, उसी को अपनी बेखौफ और बेरोकटोक जिद का निशाना बना दिया।
मानो , तुम्हारे लिए क्रिकेट खेल है तो मरना-मारना हमारा खेल और हम पर कोई हावी हो जाये, बर्दाश्त नहीं।
जहां तक पाकिस्तान की बात है तो ऑस्ट्रेलिया , द. अफ्रीका और न्यूजीलैंड ने सुरक्षा इंतजामों को अपर्याप्त बताते हुए वहां जाने से इनकार कर दिया था। जब भारत ने भी जनवरी में प्रस्तावित अपना दौरा रद कर दिया तो श्रीलंकाई टीम ने हिम्मत जुटाई।
पाकिस्तान सरकार से अब पूछा जाना चाहिए कि आखिर किस आधार पर वह अन्य देशों द्वारा दौरा जारी रखने पर ज़ोर दे रहा था और सुरक्षा की गारंटी ले रहा था। उसके सारे दावों की पोल तब अब सामने आ ही चुकी है। सुरक्षा के प्रति लापरवाही इस कदर कि जिस बस से श्रीलंकाई टीम अपने होटल से लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम तक जाना था वह बुलेट प्रूफ तक नहीं थी। श्रीलंकाई टीम पर हुए हमलों में जिस तरह से सुरक्षा खामियां उभरकर सामने आईं हैं, भविष्य में अब कोई भी टीम पाकिस्तान में खेलने जाएगी, इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है।
क्रिकेट टीम पर हमला इस महाद्वीप में पहली बार हुआ। सामान्य तौर पर अभी तक खिलाड़ियों को व्यक्तिगत धमकियां ही मिलती रहीं लेकिन कभी कोई हमला या वारदात नहीं हुई। भारत में सचिन तेंदुलकर, वीरेन्द्र सहवाग, महेन्द्र सिंह, गांगुली को समय-समय पर मारने की धमकियां दी गई लेकिन सुरक्षा इंतजामों के पुख्ता होने के कारण कभी प्रयास तक नहीं हो पाया। सामान्यत तौर पर आतंकी संगठनों ने कभी खिलािडयों या टीमों पर हमला नहीं किया। श्रीलंका पर हमले के साथ एक खतरनाक शुरुआत हो चुकी है कि अब खिलाड़ी अब सुरक्षित नहीं हैं। क्रिकेट संकट में है और आतंकी कभी भी कहीं भी घुसकर हमला कर सकते हैं ।
खिलाड़ियों पर हमला करने का सबसे खतरनाक उदारहण म्यूनिख ओलंपिक के दौरान इजराइल के एथलीटों पर हमले के रूप में सामने आया था तब लेबनानी आतंकवादियों ने पूरी टीम को बेरहमी से मार दिया था। हालाकि इजराइली गुप्तचर एजेंसी मोसाद ने बाद में ढूंढ-ढूंढ कर इस हमले के जिम्मेदार लोगों को मारा था। लेकिन खिलाड़ियों को आतंक का निशाना बनाने की शुरुआत हो गई थी।
आतंकियों के हमले के निहितार्थ:
  • अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान सरकार इस वक्त जिस तरह आतंकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही थी, वह कई कट्टरपंथियों को पसंद नहीं आ रहा था। प्रतिक्रिया स्वरूप क्रिकेटरों को निशाना बनाया गया।
  • इस घटना के माध्यम से तालिबान व अन्य चरमपंथी संगठन अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, कि वे पूरे महाद्वीप या पाकिस्तान में कहीं भी बेखौफ हमले कर सकते हैं ।
  • जिस तरह यह हमला हुआ और इसके पहले मुंबई में आतंकी वारदात हो चुकी है।
  • भारतीय क्रिकेट टीम के लिए भी खतरा बढ़ गया है। अब टीम व उसके खिलाड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता, और बढ़ाये जाने की तत्काल आवश्यकता है।
  • भारतीय गुप्तचर एजेंसियों को अब अपनी पड़ताल में खिलाड़ियों या टीम पर हमले का पक्ष भी शामिल करना जरूरी हो जायेगा।
  • इस बात की संभावना बलवती हो गयी है कि पाकिस्तान में संभवतः अगले कुछ सालों तक कोई मैच नहीं हो पायेगा।


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Tuesday, March 3, 2009

बहनजी की पार्टी में भाई ही भाई


मुख्तार अंसारी : बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्य अभियुक्त मुख्तार को माया ने वाराणसी से चुनाव लड़ाने का ऐलान किया है। मर्डर, मर्डर की कोशिश, किडनैपिंग, फिरौती, लूट सहित दर्जनों मामले यूपी के इस कुख्यात भाई पर चल रहे हैं। मुख्तार के भाई और गैंगस्टर अफजल अंसारी भी बीएसपी के टिकिट पर गाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
अरुण शंकर शुक्ला : कभी ये एसपी चीफ मुलायम सिंह यादव के बेहद खास रहे हैं। लखनऊ के कुख्यात डॉन और अन्ना नाम से मशहूर अरुण कुछ दिनों पहले ही बीएसपी में आए हैं। इन पर दर्जनों आपराधिक केस चल रहे हैं। इनके खिलाफ 2 जून 1995 में लखनऊ के गेस्ट हाउस में बहनजी पर हमला करने का केस अभी लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में चल रहा है। 'भाई' अन्ना उन्नाव से चुनाव लड़ेंगे।
उमाकांत यादव : बीएसपी के एमपी रहे हैं। जमीन हथियाने, दुकानों और घरों को क्षतिग्रस्त करने के मामले में मायावती के आवास के सामने इन्हें गिरफ्तार किया गया था। बीएसपी इन्हें पार्टी से बेदखल कर चुकी है।
राम रक्षा पाल : बीएसपी के नैशनल सेक्रटरी और झारखंड में पार्टी इनचार्ज राम रक्षा को वाराणसी में एक दलित ऑटो रिक्शा चालक भगवानदास की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। भगवान के तीन रिश्तेदारों को फायरिंग कर जख्मी करने का भी इन पर आरोप है।
भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित : जून 2004 में आगरा यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च स्कॉलर से रेप के आरोप में बीएसपी एमएलए भाई गुड्डू पंडित को गिरफ्तार किया गया था। कांशीराम नगर के कासगंज थाना में इनके खिलाफ केस दर्ज है। मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि भी हुई थी।
आनंद सेन यादव : खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रहे बीएसपी के एमएलए आनंद सेन पर फैजाबाद की लॉ स्टूडंट शशि की हत्या का आरोप है। शशि के पिता बीएसपी कार्यकर्ता हैं।
सुभाष धोरे : भाई धोरे और उनके समर्थकों पर सितंबर 2004 में पुलिस पर हमला कर कासगंज थाने के लॉकअप से दो अपराधियों को निकालने और पुलिस पर पथराव के आरोप हैं।


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श्रीलंका टीम पर जानलेवा हमला


लाहौर।। आधुनिक हथियारों से लैस करीब 12 आतंकवादियों ने श्रीलंका टीम पर हमला कर दिया। इसमें छह खिलाड़ी घायल हो गए और पांच पुलिसकर्मियों समेत सात लोग मारे गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक दो श्रीलंकाई क्रिकेटरों को गोली लगी है, जबकि चार खिलाड़ी मामूली रूप से घायल हुए हैं। हमले के तुरंत बाद श्रीलंका सरकार ने दौरा रद्द कर दिया है।
पीसीबी अधिकारियों ने बताया कि घायल खिलाड़ियों में कुमार संगकारा, अजंता मेंडिस, थिलन समरवीरा, महेला जयवर्द्धने और थरंगा प्राणविताना शामिल हैं। समरवीरा के सीने और थरंगा के पैर में गोली लगी है । लाहौर हॉस्पिटल में दोनों का इलाज चल रहा है।मुख्य कोच ट्रेवर बेलिस को मामूली चोट आई है।
लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में खेले जा रहे टेस्ट मैच के लिए मंगलवार सुबह श्रीलंका टीम बस से स्टेडियम जा रही थी। स्टेडियम के करीब लिबर्टी गोल चक्कर के पास करीब 12 बंदूकधारियों ने बस को घेरकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
लाहौर के पुलिस प्रमुख हाजी हबीबुर रहमान ने कहा कि सभी खिलाड़ी सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा,' यह आतंकवादी हमला था और हमलावरों ने रॉकेट लांचर, हैंड ग्रेनेड और दूसरे हथियारों से हमला किया। सभी हमलावर भाग निकले हैं। उनकी तलाश शुरू कर दी गई है। वे 12 नकाबपोश प्रशिक्षित आतंकवादी थे। पुलिस ने करीब 25 मिनट तक उनका मुकाबला किया।'
टीवी चैनलों ने दो बंदूकधारियों की तस्वीरें दिखाई हैं, जिनमें से एक ने पठानी सूट और दूसरे ने जींस और जैकेट पहनी हुई थी। दोनों के पास राइफल और बैकपैक थे। पुलिस ने तुरंत इलाके की नाकाबंदी कर दी और हमलावरों की तलाश शुरू कर दी। हमले के बाद श्रीलंकाई टीम की बस को तुरंत गद्दाफी स्टेडियम ले जाया गया, जहां टीम के डॉक्टर मामूली रूप से घायल खिलाड़ियों का इलाज किया। बाद में श्रीलंकाई टीम को हेलिकॉप्टर के जरिए स्टेडियम से बाहर निकाला गया।
दरअसल, तय कार्यक्रम के मुताबिक भारतीय टीम को पाकिस्तान का दौरा करना था लेकिन मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद उपजी स्थिति के मद्देनजर भारत ने यह दौरा रद्द कर दिया था। भारत की जगह श्रीलंका की टीम को वहाँ जाने का न्यौता मिला था और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया था।
अंपायर की वैन पर भी फायरिंग
खिलाडियों की बस के अलावा आतंकियों ने अंपायर की वैन पर भी फायरिंग की है। इसमें अंपायर एहसान रजा भी बुरी तरह से जख्मी हो गए। उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
रिक्शे से आए 12 हमलावर
पाकिस्तानी टीवी चैनलों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक हमलावर रिक्शे से आए थे। मोर्टार और रॉकेट लांचरों सहित अत्याधुनिक हथियारों से लैस करीब दर्जन भर आतंकियों ने लिबर्टी प्लाजा के पास श्रीलंकाई टीम की बस को चारों ओर से घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद वो अलग-अलग समूह में फरार हो गए। हमलावरों की संख्या 12 बताई जा रही है। घटनास्थल पर खडी एक सफेद कार को संदिग्ध मान कर जांच की जा रही है। पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया है। इस बीच, मॉडल टाउन इलाके से चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से हथियार भी बरामद किए गए हैं।


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Monday, March 2, 2009

16 अप्रैल से आम चुनाव, 16 मई को गिनती

  • पांच फेज में डाले जाएंगे वोट
निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनावों के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव पांच चरणों में होंगे
। पहले दौर का चुनाव 16 अप्रैल, दूसरा 23 अप्रैल, 30 अप्रैल, सात मई और आखिरी यानी पांचवें चरण में 13 मई को वोट पड़ेंगे। वोटों की गिनती 16 मई को होगी। जम्मू और कश्मीर और उत्तर प्रदेश। महाराष्ट्र बंगाल में तीन चरणों में और बिहार में चार फेज में वोट डाले जाएंगे।
आंध्र प्रदेश,असम, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, मणिपुर, उड़ीसा में दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। बाकी केंद्रशासित प्रदेशों में चुनाव एक दिन का होगा। दिल्ली में सात मई को वोट डाले जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त एन। गोपालस्वामी के नेतृत्व में आयोग नेताओं, गृह सचिव और प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के साथ विचार-विमर्श के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस आम चुनाव की तारीखों की घोषणा की है।
16 अप्रैल को 124, 23 अप्रैल को 141, 30 अप्रैल को 107 सीटों, 7 मई को 85 और 13 मई को 86 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। 543 संसदीय सीटों में 522 पर फोटो पहचान पत्र अनिवार्य है। एन।गोपालस्वामी के मुताबिक 543 सीटों में 499 पर चुनाव नए परिसीमन के आधार पर होगा। इस साल 2 जून तक लोकसभा का गठन होना था। चुनाव में करीब चालीस लाख सिविल कर्मी और 21 लाख पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात होंगे। इस बार करीब 71.4 करोड़ लोग इस बार लोकसभा चुनाव में वोट डालेंगे। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है।
  • किस राज्य में कब होंगे चुनाव?
पंजाब (13) – 7 और 13 मई
अंडमान निकोबार (1) – 16 अप्रैल
अरुणाचल प्रदेश (2) - 16 अप्रैल
चंडीगढ़ (1) - 13 मई
छत्तीसगढ़ ( 11 ) – 16 अप्रैल
दादर और नगर हवेली (1) – 30 अप्रैल
दमन-दीव (1) - 30 अप्रैल
दिल्ली (7) – 7 मई
गोवा (2) – 23 अप्रैल
गुजरात ( 26) – 30 अप्रैल
हरियाणा (10) – 7 मई
हिमाचल प्रदेश (4) – 13 मई
केरला (20) – 16 अप्रैल
लक्षद्वीप (1) – 16 अप्रैल
मेघालय (2) – 16 अप्रैल
मिजोरम (1) – 16 अप्रैल
नगालैंड (1) – 16 अप्रैल
पुड्डचेरी (1) – 13 मई
राजस्थान (25) – 7 मई
सिक्किम (1) – 30 अप्रैल
तमिलनाडु (39) – 13 मई
त्रिपुरा (2) – 23 अप्रैल
उत्तराखंड (5) – 13 मई
आंध्रप्रदेश (42) – 16 और 23 अप्रैल
असम (14) – 16 और 23 अप्रैल
झारखंड (14) – 16 और 23 अप्रैल
कर्नाटक (28) – 23 और 30 अप्रैल
मध्यप्रदेश (29) – 23 और 30 अप्रैल
मणिपुर (2) – 16 और 23 अप्रैल
उड़ीसा (21) – 16 और 23 अप्रैल
महाराष्ट्र ( 48) – 16, 23 और 30 अप्रैल
पश्चिम बंगाल (42) – 30 अप्रैल, 7 मई और 13 मई
बिहार (40) – 16 और 23 अप्रैल और 7 व 13 मई
जम्मू कश्मीर (6) – 16, 23 और 30 अप्रैल व 7 और 13 मई
उत्तर प्रदेश (80 ) – 16, 23 और 30 अप्रैल व 7 और 13 मई


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10000 करोड का पडेगा आम चुनाव

देश में होने वाले आम चुनाव अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव से भी महंगे रहेंगे। भारतीय मीडिया अध्ययन केन्द्र की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार इस बार के लोकसभा चुनाव 10,000 करोड रूपए से भी अधिक महंगे रहेंगे। 2009 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ 8000 करोड रूपए खर्च हुए थे।
यह खर्च केवल लोकसभा चुनाव का है। इसके साथ होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों का खर्च अलग होगा। यह खर्च पिछले लोकसभा चुनाव के दोगुने से भी ज्यादा है। 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में 4500 करोड रूपए खर्च हुए थे। इस बार क्षेत्रीय दलों और उनके उम्मीदवारों द्वारा करीब 1000 करोड रूपए खर्च करने का अनुमान है।

  • अनुमान लगाया गया है कि चुनाव प्रबंधन के लिए सरकार कुल खर्च का 20 फीसदी व्यय करेगी। यानी सरकारी खर्च सिर्फ 2000 करोड रूपए होगा। इनमें से 1300 करोड चुनाव आयोग का और 700 करोड रूपए राज्य सरकार का खर्च होगा।
  • चुनाव में देश के सारे राजनीतिक दल मिलकर करीब 1650 करोड रूपए खर्च करेंगे। इनमें से 1000 करोड रूपए देश के दो प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के होंगे। इसके अलावा करीब 1000 करोड अन्य खर्चे में शामिल किया गया है।
  • चुनाव प्रचार व पार्टी प्रबंधन पर चुनाव के दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों द्वारा 4350 करोड खर्च होने का अनुमान है। इसमें से करीब 2500 करोड रूपए गैर कानूनी ढंग से मतदाताओं को नकदी के तौर पर दिए जाएंगे।


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Sunday, March 1, 2009

चावला ही होंगे मुख्य चुनाव आयुक्त

  • चुनाव की तारीखों का ऐलान सोमवार को
अगले लोकसभा चुनावों की तारीख पर से अगले सप्ताह पर्दा उठना तय है। सूत्रों का कहना है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान सोमवार को ही कर दिया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी)एन. गोपालस्वामी की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए चुनाव आयुक्त नवीन चावला को ही उनका उत्तराधिकारी बनाने का फैसला किया है।
सरकार ने इस बारे में अपनी राय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पास भेज दी है। 20 अप्रैल को गोपालस्वामी के रिटायर हो जाने के बाद चावला मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यभार संभालेंगे। चुनाव आयोग के सूत्र ने बताया कि आयोग तारीख पर फैसला कर चुका है और इसकी घोषणा अगले सप्ताह की जाएगी। उन्होंने कहा कि चुनाव चार से अधिक चरणों में होंगे। अगर चुनाव के तारीखों का ऐलान सोमवार को नहीं होगा तो सरकार को विज्ञापन अभियान के लिए कुछ और मोहलत मिल जाएगी। सरकार की ओर से 6 मार्च तक के लिए सारे विज्ञापन बुक कराए गए हैं, लेकिन चुनाव की तारीख का ऐलान इससे पहले होने पर इन विज्ञापनों को रोक दिया जाएगा।


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ऋतिक, प्रियंका सर्वश्रेष्ठ

बॉलीवुड के ऑस्कर कहे जाने वाले फिल्मफेयर के 54वें अवार्ड समारोह में शनिवार को ऋतिक रोशन को जोधा अकबर के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और फैशन फिल्म के लिए प्रियंका चोपडा को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड मिला। जोधा अकबर को सर्वश्रेष्ठ फिल्म और इसी के लिए आशुतोष गोवारीकर को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अवार्ड दिया गया।
वहीं ऑस्कर विजेता ए. आर। रहमान ने फिल्मफेयर अवार्ड में भी क्लीन स्वीप करते हुए "जाने तू या जाने ना" के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार तथा जोधा अकबर के लिए सर्वश्रेष्ठ बैंक ग्राउंड संगीत का अवार्ड जीता है।--फिल्म रॉक ऑन ने बाजी मारते हुए छह श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ अवार्ड जीते। अर्जुन रामपाल को रॉक ऑन के लिए सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता और कंगना रानौत को सर्वश्रेष्ठ सहनायिका का अवार्ड मिला।
सूची-

  • सर्वश्रेष्ठ फिल्म - जोधा अकबर
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता - ऋतिक रोशन (जोधा अकबर)
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री - प्रियंका चोपडा (फैशन)
  • सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर - आशुतोष गोवरीकार (जोधा अकबर)
  • सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता- फरहान अख्तर (रॉक ऑन) और इमरान खान (जाने तू या जाने ना)
  • सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री- असिन (गजनी)
  • सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता- अर्जुन रामपाल (रॉक ऑन)
  • सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री- कंगना रानौत (फैशन)
  • आर डी बर्मन उभरती प्रतिभा- बेनी दयाल (गजनी)
  • सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायक (पुरूष)-सुखविंदर सिंह, हौले-हौले (रब ने बना दी जोडी)
  • सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायक (महिला)-श्रेया घोषाल, तेरी ओर (सिंह इज किंग)
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार - जावेद अख्तर, जश्ने बहारा है (जोधा अकबर)
  • सर्वश्रेष्ठ कहानी- अभिषेक कपूर (रॉक ऑन)
  • सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी-जैसन वेस्ट (रॉक ऑन)
  • सर्वश्रेष्ठ एक्शन- पीटर हेन (गजनी)
  • लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड- ओमपुरी और भानू अथैया
  • आउटस्टैडिंग परफारमेंस अवार्ड- प्रतीक बब्बर (जाने तू या जाने ना) और पूरब कोहली (रॉक ऑन)
  • क्रिटिक्स अवार्ड फॉर बेस्ट डायरेक्टर- निशिकांत कामत (मुम्बई मेरी जान)
  • क्रिटिक्स अवार्ड फॉर बेस्ट मेल एक्टर-मंजोत सिंह (ओए लकी, लकी ओए)
  • क्रिटिक्स अवार्ड फार बेस्ट फिमेल एक्टर-शहाना गोस्वामी (रॉक ऑन)


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