मुंबई आतंकी हमले के दौरान न्यूज चैनलों की कवरेज पर उठे सवालों के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
के लिए गाइडलाइंस बनाने की बात तो जोर-शोर से उठी है। हालाँकि सरकार को लगता है कि सिर्फ टीवी के लिए गाइडलाइन बनाने से काम नहीं चलेगा। सरकार का मानना है कि अब मीडिया में माध्यमों की भरमार है और सभी को गाइडलाइंस के दायरे में लाने की जरूरत है।
मीडिया में लोगों और माध्यमों की बढ़ती तादाद को देखते हुए सरकार ने मीडिया गाइडलाइंस तय करने के वास्ते एक कमिशन बिठाने की पूरी तैयारी कर ली है। यह कमिशन मीडिया के हर माध्यम के लिए गाइडलाइंस तय करेगा।
इन्फॉर्मेशन ऐंड ब्रॉडकास्टिंग (राज्य) मिनिस्टर आनंद शर्मा की अध्यक्षता में हाल ही में सांसदों की सलाहकार समिति की एक बैठक हुई। इसमें मुंबई आतंकी हमले के बाद मीडिया कवरेज के प्रभाव पर कोड ऑफ कडंक्ट की जरूरत पर चर्चा हुई। सरकार को लग रहा है कि मुंबई हमलों के बाद न्यूज़ चैनलों के लिए दिशा-निर्देश तय कर देने से ही काम नहीं चलेगा क्योंकि इससे वेबसाइट्स और कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम अछूते रह जाएंगे। इसलिए इस मुद्दे पर टुकड़ों में बात करने से मसला हल नहीं होगा।
सांसद और इन्फॉर्मेशन ऐंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री की सलाहकार समिति के सदस्य हनन मुल्ला ने बताया कि ऐसी गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है जो सभी माध्यमों पर लागू होती हो। उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू और मोरारजी देसाई के वक्त में दो बार मीडिया कमिशन बिठाए गए थे, लेकिन उनकी गाइडलाइंस सिर्फ अखबारों के लिए थीं।
Sunday, February 15, 2009
मीडिया पर लगाम की तैयारी
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