अजीब सा संजोग है। हम 2६ जनवरी मनाने जा रहे हैं और भाईजान ने आज ऐसा बोल दिया। हालाँकि उन्होंने ऐसा कुछ नही कहा की मैं उसके बारे में सोचू मगर,
खाली दिमाग शैतान का घर जो ठहरा, सो सोच लिया।
बात दरअसल पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच हालिया सीरीज़ के तीसरे वनडे की है जो कल ही समाप्त हुई। पाक का ७५ पर सिमटना था की मेरे दिमाग की बत्ती जैसे जल उठी और भाईजान भी जल उठे। मैंने हेडिंग दी "लाहौर में निकला पाक का जूलूस"। मुझे लगा की ठीक ठाक ही हेडिंग है और विश्वाश जी ने उस पर मुहर भी लगा दी। लेकिन भाईजान को बुरा लग गया। क्या बुरा लगा? हेडिंग या मैं, नही पता लेकिन मुझे कोई आश्चर्य नही हुआ।
शायद उनकी मनःस्थिति कुछ और थी जो मैंने समझ ली खैर
यही भाईजान उस वक्त मेरी तारीफ़ करते नही अघा रहे थे की क्या ख़बर लिखी है इस जहान्नुम के बादशाह ने। पहले वनडे में बट ने शतक जमाया तो मैंने लिखा "बट की बैटिंग से लंका बेहाल"। और उन्होंने तो इसकी चर्चा हर जगह की। आख़िर समझ नही आया की वैचारिक परिवर्तन इतनी जल्दी वो भी ३ दिनों में।
मैं क्या लिख रहा हूँ, मुझे ख़ुद भी नही पता, लेकिन
इतना ज़रूर जनता हूँ की ६० वां गणतंत्र मनाने जाने के बाद भी हमारे अंदर यह भाव अभी नही आया है की "भारत मेरा देश है"। यह किसका दोष है इतनी गहन चर्चा करने लायक मैं नही। मगर इतना जानता हूँ की शिक्षा का असर होता हैं अगर वो शिक्षित करने पर जोर दे न की अक्षर ज्ञान देने की जैसा भाईजान ने ग्रहण की है।
हमें खुश होना सीखना होगा जब पृथ्वी मिसायल लॉन्च होती है न की गजनी लॉन्च होती है तब। क्या पृथ्वी जैसी मिसायल केवल राम की रक्षा करेगी रहीम की नही। गजनी से क्या केवल राम मरेगा रहीम नही। हमें इसे समझना होगा।
और भी मन की भड़ास निकलना चाहता हूँ लेकिन हमारे साथी बाघेला जी कह रहे हैं की बस यार फ़िर कभी ....
फ़िर कुछ चुभा तो लिखूंगा ....
Sunday, January 25, 2009
भाईजान ऐसे क्यों बोले !
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