झारखंड सरकार ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को प्रतिबंधित बोर वाले हथियार का लाइसंस देने के मामले में नियमों में ढील देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि धोनी ने लगभग दो महीने पहले प्रतिबंधित बोर वाले रिवाल्वर के लाइसंस के लिए आवेदन किया था। लेकिन, इतना समय बीत जाने के बाद भी उन्हें लाइसंस नहीं दिया गया।
छोटानागपुर क्षेत्र की आयुक्त शीला किस्कु रापाज ने मीडियाकर्मियों के पूछने पर कहा कि पहले धोनी को सतर्कता विभाग, स्पेशल ब्रांच और सीआईडी के पुलिस अधीक्षकों का एनओसी लाने दीजिए, फिर इस पर विचार किया जाएगा। आयुक्त के मुताबिक आतंकवादी और चरमपंथी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में बिना पूरी छानबीन के किसी को हथियार का लाइसंस देना ठीक नहीं है।
धोनी के परिवार ने आयुक्त के इस बयान पर विरोध जताया था। उसका कहना था कि धोनी कोई मामूली शख्स नहीं कि उन्हें प्रमाणपत्रों के जरिए पहचान साबित करनी पड़े। उनके चरित्र को भी प्रमाणपत्रों की दरकार नहीं है। अब राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारी इस मामले को लेकर ढीले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। रांची के उपायुक्त अरुण एक्का ने इस संबंध में कहा, 'धोनी जैसे व्यक्ति को प्रमाणपत्रों के जरिए पहचान जाहिर करने की जरूरत नहीं। उन्हें किसी चरित्र प्रमाणपत्र की भी जरूरत नहीं है।'
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