वह दस नवंबर 2000 का दिन जब सौरभ गांगुली पहली बार भारतीय टीम के कप्तान के तौर पर टॉस के लिए मैदान में उतरे थे और इसके ठीक आठ साल बाद दस नवंबर 2008 को ' दादा' ने अपने प्रिय खेल क्रिकेट को अलविदा कहा। भारत ने जब ऑस्ट्रेलिया को नागपुर में 172 रन से हराकर सीरीज जीती तो कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी नहीं बल्कि गांगुली ही कर रहे थे।
इस तरह से दस नवंबर को शुरू हुए भारतीय कप्तानी के गोल्डन पीरियड का अंत भी दस नवंबर को ही हुआ। भारत में कप्तानी को लेकर 1932 से ही उठापटक चलती रही जब देश ने पहली बार टेस्ट क्रिकेट में हिस्सा लिया था लेकिन कुछ ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने इस पद की इज्जत बढ़ाई और लंबे समय तक इस पर बने रहे। इन खिलाड़ियों की सूची में गांगुली टॉप पर काबिज हैं।
गांगुली ने भारत की तरफ से सर्वाधिक 49 मैचों में कप्तानी की, जिसमें से 21 में उन्होंने टीम को जीत दिलाई जो भारतीय रेकॉर्ड है। गांगुली ने ऐसे समय में टीम की कमान संभाली थी जब भारत मैच फिक्सिंग के संकट से जूझ रहा था और उस समय के सबसे सफल कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन इसके जाल में फंसे हुए थे। सचिन तेंडुलकर जैसे महान बल्लेबाज ने भी जब कप्तानी छोड़ दी तो गांगुली को यह जिम्मा संभाला गया। भारत ने गांगुली की अगुवाई में पहली बार बांग्लादेश का दौरा किया और वह दस नवंबर 2000 का दिन था जब बाएं हाथ का यह बल्लेबाज पहली बार टेस्ट क्रिकेट में कप्तान के तौर पर मैदान पर उतरा था। भारत ने यह मैच नौ विकेट से जीता था।
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