Friday, March 6, 2009

माल्या ने खरीदा बापू का चश्मा और सैंडल


शराबबंदी की वकालत करने वाले बापू का चश्मा और सैंडल उस व्यक्ति ने खरीदा जो देश में शराब का सबसे बड़ा विक्रेता है। वैसे वह धन्यवाद् का हकदार है क्योंकि बापू के सामान को वह भारत लाने में सफल रहा।

न्यूयॉर्क: भारत सरकार बापू के सामान की नीलामी नहीं रोक पाई। इस नीलामी में गांधीजी की पांच वस्तुए यानी उनका चश्मा, घड़ी, चप्पलें, प्लेट और कटोरी शामिल थीं। भारतीय उद्योगपित विजय माल्या ने 18 लाख अमेरिकी डॉलर ( करीब साढ़े 9 करोड़ रुपये ) में बापू का सामान खरीदा। इन वस्तुओं की आरक्षित कीमत 20 से 30 हजार अमेरिकी डॉलर रखी गई थी। वैसे इससे पहले भारतीय अधिकारियों की ओर से खबर आ रही थी कि सरकार के प्रयासों के चलते गांधीजी की वस्तुओं की नीलामी रुक गई है।

इस नीलामी में गांधीजी की पांच वस्तुए यानी उनका चश्मा , घड़ी , चप्पलें , प्लेट और कटोरी शामिल थीं। भारत के लिए सुकून की बात यह रही कि राष्ट्रपिता की यह वस्तुएं भारतीय बिजनसमन विजय माल्या ने खरीदी। उम्मीद है कि दो हफ्तों में विजय माल्या ये सामान भारत ले आएंगे। गौरतलब है कि 4 साल पहले जब लंदन के एक नीलामी घर में टीपू सुल्तान की तलवार की नीलामी हुई थी तो विजय माल्या 4 करोड़ रुपये में उसे खरीदकर भारत लाए थे।

माल्या की तरफ से बापू के सामान के लिए बोली लगाने वाले टोनी बेदी ने कहा कि वह देश के लिए बोली लगा रहे हैं और इस बिक्री का मतलब है कि गांधी की धरोहर भारत वापस आएगी। नीलामी घर में बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोग उपस्थित थे। जैसे ही बोली खत्म हुई और कहा गया कि ये धरोहर अब भारत ले जायी जा सकेंगी तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और लोग खुशी से झूम उठे।

वैसे नीलामी शुरू होने के कुछ घंटे पहले ही सूत्रों से आ रही खबर के अनुसार बापू के सामान के ओनर जेम्स ओटिस इस नीलामी को रद्द करने का फैसला कर लिया है। यहां संवाददाताओं से बातचीत में ओटिस ने कहा था - मैंने विवाद के कारण गांधी की निजी वस्तुओं को नहीं बेचने का फैसला किया है। न्यू यॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में भारतीय राजनयिकों और ओटिस के बीच लंबी बातचीत के बाद ओटिस ने यह घोषणा की थी। लेकिन ऐसे हो न सका और जब अधिकांश भारतीय नींद को आगोश में थे , तो दूसरी ओर अमेरिका में गांधीजी के सामान की बोली लग रही थी।

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