Wednesday, March 4, 2009

’पाक’ खेल पर ’नापाक’ निशाना

सुधीर कुमार
भद्रजनों का खेल माना जाने वाला ’पाक’ खेल क्रिकेट अब आतंकवादियों के ’नापाक’ निशाने पर आ चुका है और इसकी एक बानगी उसने बेहद कायराना अंदाज में पाकिस्तान में श्रीलंकाई टीम के खिलाड़ियों पर अंधाधुंध फायरिंग कर पेश कर दिया है। अपने जन्म के साथ ही कट्टरपंथियों की गिरफ्त में बुरी तरह जकड़ जाने वाले पाकिस्तान ने कभी इससे निकलने की कोशिश भी नहीं की और इन कट्टरपंथियों ने यहां की सरकार की नपुंसकता का फायदा उठाते हुए धर्म की आड़ में ’जेहाद’ को हिंसा से जोड़ दिया। नतीजा यह निकला कि पूरी दुनिया में यह देश उग्र आतंकवादियों की खैर-ख्वाह के रूप में जाना जाने लगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान की सभी सरकारों ने भारत में सभी धर्मो के लोगों के बीच एकता और प्रेम को अपनी आंखों की किरकिरी मानकर इन आतंकवादियों को बढ़ाया ही दिया। इस बेलगाम बढ़ावे का फायदा उठाकर आतंकवादियों ने पूरी दुनिया को अपने गिरफ्त में लेने की कोशिश की। शायद इन्हें अमन-चैन से नफरत सी हो, इसलिए पाकिस्तान से बेहतर पनाह इन्हें और कहां मिल सकती थी?
बहरहाल, श्रीलंकाई टीम पर अंधाधुंध हमला कर इन दहशतगर्दो ने शायद यही पैगाम देने की कोशिश की है कि हमें ’सामान्य’ जैसा कुछ भी गंवारा नहीं। हर कुछ हमें असामान्य ही चाहिए। और, यह असामान्यता उनके लिए खौफ, हिंसा, हत्या और व्यभिचार से इतर बिल्कुल भी न हो। शायद तभी तो जिस श्रीलंका टीम ने हिम्मत जुटाकर पाकिस्तान में खेलों की बहाली के पाक प्रयासों को बल देने की कोशिश की, उसी को अपनी बेखौफ और बेरोकटोक जिद का निशाना बना दिया।
मानो , तुम्हारे लिए क्रिकेट खेल है तो मरना-मारना हमारा खेल और हम पर कोई हावी हो जाये, बर्दाश्त नहीं।
जहां तक पाकिस्तान की बात है तो ऑस्ट्रेलिया , द. अफ्रीका और न्यूजीलैंड ने सुरक्षा इंतजामों को अपर्याप्त बताते हुए वहां जाने से इनकार कर दिया था। जब भारत ने भी जनवरी में प्रस्तावित अपना दौरा रद कर दिया तो श्रीलंकाई टीम ने हिम्मत जुटाई।
पाकिस्तान सरकार से अब पूछा जाना चाहिए कि आखिर किस आधार पर वह अन्य देशों द्वारा दौरा जारी रखने पर ज़ोर दे रहा था और सुरक्षा की गारंटी ले रहा था। उसके सारे दावों की पोल तब अब सामने आ ही चुकी है। सुरक्षा के प्रति लापरवाही इस कदर कि जिस बस से श्रीलंकाई टीम अपने होटल से लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम तक जाना था वह बुलेट प्रूफ तक नहीं थी। श्रीलंकाई टीम पर हुए हमलों में जिस तरह से सुरक्षा खामियां उभरकर सामने आईं हैं, भविष्य में अब कोई भी टीम पाकिस्तान में खेलने जाएगी, इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है।
क्रिकेट टीम पर हमला इस महाद्वीप में पहली बार हुआ। सामान्य तौर पर अभी तक खिलाड़ियों को व्यक्तिगत धमकियां ही मिलती रहीं लेकिन कभी कोई हमला या वारदात नहीं हुई। भारत में सचिन तेंदुलकर, वीरेन्द्र सहवाग, महेन्द्र सिंह, गांगुली को समय-समय पर मारने की धमकियां दी गई लेकिन सुरक्षा इंतजामों के पुख्ता होने के कारण कभी प्रयास तक नहीं हो पाया। सामान्यत तौर पर आतंकी संगठनों ने कभी खिलािडयों या टीमों पर हमला नहीं किया। श्रीलंका पर हमले के साथ एक खतरनाक शुरुआत हो चुकी है कि अब खिलाड़ी अब सुरक्षित नहीं हैं। क्रिकेट संकट में है और आतंकी कभी भी कहीं भी घुसकर हमला कर सकते हैं ।
खिलाड़ियों पर हमला करने का सबसे खतरनाक उदारहण म्यूनिख ओलंपिक के दौरान इजराइल के एथलीटों पर हमले के रूप में सामने आया था तब लेबनानी आतंकवादियों ने पूरी टीम को बेरहमी से मार दिया था। हालाकि इजराइली गुप्तचर एजेंसी मोसाद ने बाद में ढूंढ-ढूंढ कर इस हमले के जिम्मेदार लोगों को मारा था। लेकिन खिलाड़ियों को आतंक का निशाना बनाने की शुरुआत हो गई थी।
आतंकियों के हमले के निहितार्थ:
  • अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान सरकार इस वक्त जिस तरह आतंकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही थी, वह कई कट्टरपंथियों को पसंद नहीं आ रहा था। प्रतिक्रिया स्वरूप क्रिकेटरों को निशाना बनाया गया।
  • इस घटना के माध्यम से तालिबान व अन्य चरमपंथी संगठन अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, कि वे पूरे महाद्वीप या पाकिस्तान में कहीं भी बेखौफ हमले कर सकते हैं ।
  • जिस तरह यह हमला हुआ और इसके पहले मुंबई में आतंकी वारदात हो चुकी है।
  • भारतीय क्रिकेट टीम के लिए भी खतरा बढ़ गया है। अब टीम व उसके खिलाड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता, और बढ़ाये जाने की तत्काल आवश्यकता है।
  • भारतीय गुप्तचर एजेंसियों को अब अपनी पड़ताल में खिलाड़ियों या टीम पर हमले का पक्ष भी शामिल करना जरूरी हो जायेगा।
  • इस बात की संभावना बलवती हो गयी है कि पाकिस्तान में संभवतः अगले कुछ सालों तक कोई मैच नहीं हो पायेगा।

2 comments:

  1. आपकी टिप्पणी काफी हद तक सही है। जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म करने के लिए कदम नही उठाएगा उसे ऐसे ही शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी। आपका ब्लॉग सामयिक और रोचक है। लेकिन टिप्पणियों की संख्या ज्यादा होनी चाहिए क्योंकि आपकी लेखनी में कसावट और तीखापन साथ साथ नज़र आता है।

    प्रकाश

    रिपोर्टर (डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, इलाहाबाद)

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  2. Sudhir ji lagta hai aap kafi vyathit hokar likh rahe hain. isme koi 2 ray nahi ki aatankwad ko badhane me pakistan kabhi pichhe nahi raha. aap ne to uski bakhiya udher kar rakh di hai. aise hi likhte rahiye. meri subhkamnayen aapke sath hain.

    Dinesh Mani Pathak

    Reporter (Amar Ujala, Delhi)

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