क्या सिखाया जाता है पाकिस्तान के स्कूलों में
- भारत, पाकिस्तान का हिस्सा था।
- अंग्रेजों ने हिंदुओं की मदद से मुस्लिमों पर जमकर जुल्म किए।
- 1971के भारत-पाक युद्ध में पाक ने भारत को जबर्दस्त शिकस्त दी ।
- हिंदू मुस्लिमों को गुलाम बनाना चाहते हैं
- अंग्रेजों से मिले हुए थे हिंदू
- एक ' मुजाहिद ' बनें और भारत के साथ दोस्ती की कोई भी गुंजाइश न छोड़ें।
जी हां, पाकिस्तानी बच्चों को कुछ यही पढ़ाया जा रहा है। पाकिस्तान की सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जा रही कोर्स की किताबों में यही बातें लिखी हैं। पाकिस्तानी किताबों में भारत के खिलाफ इतना जहर उगला गया है कि किसी को भी भारत से नफरत हो जाए।
पाकिस्तान में मासूम बच्चों के ब्रेनवॉश के लिए वहां के मदरसे तो बदनाम हैं ही, सरकारी स्कूलों में भी उन्हें सालों से नफरत का पाठ पढ़ाया जा रहा है। बच्चों को इस तरह गुमराह करने के लिए 1977 में बनी वहां की शिक्षा नीति जिम्मेदार है। वहां की सरकार किताबों में खासकर हाई स्कूल के कोर्स में भारत और हिंदुओं को खिलाफ नफरत फैलाने वाली कई बातें शामिल हैं। किताबों में बताया गया है कि कैसे इतिहास को मिटाया- हाई स्कूल की किताब में 1971 के युद्ध के बारे में यह नहीं बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान को इसमें शिकस्त मिली और 90,000 सैनिकों को हथियार डालने पड़े। बल्कि बताया गया है कि इस युद्ध में कैसे पाक सेना ने नए रेकॉर्ड बनाए। भारतीय सेनाओं को हर मोर्चे पर शिकस्त दी गई।
- एक किताब में लिखा है, ' अंग्रेजों ने हिंदुओं की मदद से मुस्लिमों पर जमकर जुल्म किए। मोहम्मद अली जिन्ना को लगा कि हिंदू मुस्लिमों को गुलाम बनाना चाहते हैं। वह गुलामी से नफरत करते थे, इसीलिए उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया।
- ' भारत ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर वहां के हिन्दुओं की मदद से जुल्म ढाए। दिसंबर 1971 में इस हिस्से को पाकिस्तान से अलग कर दिया गया। इसलिए हम सभी को मिलिट्री ट्रेनिंग की जरूरत है। जिससे हम दुश्मन का मुकाबला कर सकें।
- पांचवीं की किताब में लिखा है, ' ब्रिटिश भारत पर कब्जे के इरादे से आए थे। हिंदुओं ने इसमें उनकी पूरी मदद की। भारत पर कब्जे के बाद अंग्रेजों ने जहां एक तरफ जमकर लूटपाट की, वहीं हिंदुओं की मदद से मुस्लिमों पर जुल्म ढाए। '
- भारत-पाक युद्ध का जिक्र करते हुए ' जिहाद ' और ' शहादत ' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। स्टूडंट्स से कहा गया है कि वह भी एक ' मुजाहिद ' बनें और भारत के साथ दोस्ती की कोई भी गुंजाइश न छोड़ें।
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