आतंकवादी हमलों का ये इनडायरेक्ट असर है। 6 जनवरी को देश के ढाई करोड़ फोन डिसकनेक्ट किए जा सकते हैं।
- संचार मंत्रालय ने सभी टलिकॉम कंपनियों से कहा है कि जिन फोन में इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी नंबर यानी IMEI नंबर नहीं हैं, उन्हें डिसकनेक्ट कर दिया जाए।
- IMEI नंबर में दरअसल 15 डिजिट्स होते हैं। इस नंबर को जीएसएम नेटवर्क पहचानता है। इससे चोरी किए गए हैंडसेट का इस्तेमाल रोका जा सकता है। पुलिस इस नंबर के सहारे किसी फोन के कॉल को ट्रैक कर सकती है। जब भी कोई कॉल की जाती है तो जीएसएम ऑपरेटर के नेटवर्क पर IMEI नंबर दर्ज हो जाता है।
- संचार मंत्रालय ने कहा है कि सभी ऑपरेटर इक्विपमेंट आइडेंटिटि रजिस्टर से लैस हों, ताकि उन्हें ये पता चल सके कि कॉल जेनुइन हैंडसेट से की जा रही है। 6 अक्टूबर को ऑपरेटर्स को भेजे लेटर में कहा गया है कि जिन ऑपरेटर के पास ये फैसिलिटी नहीं है, वो जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ले लें। तीन महीने के अंदर ये काम कर लिया जाए और मंत्रालय को ये बताया जाए कि आदेश का पालन हो गया है।
- इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन का कहना है कि नॉन IMEI यानी नकली हैंडसेट इसलिए चल रहे हैं क्योंकि विदेश से आ रहे फोन का IMEI वेलिडेशन करने की कोई व्यवस्था नहीं है। चोरी किए गए फोन का दोबारा इस्तेमाल रोकने का भी कोई बंदोबस्त नहीं है। ग्रे मार्केट में बिक रहे ज्यादातर फोन में IMEI नंबर नहीं है। अंदाजा है कि देश में ऐसे ढाई करोड़ से ज्यादा फोन हैं।
- ऑपरेटर्स का कहना है कि संचार मंत्रालय की डेडलाइन पूरी कर पाना आसान नहीं है। संचार मंत्रालय चाहता है कि जिन फोन में IMEI नंबर नहीं है या इनवेलिड नंबर हैं, उससे कोई फोन न हो और न ही वो कोई फोन रिसीव कर पाएं। लेकिन ऐसा करने के लिए काफी खर्च करना होगा। इन नंबरों के इतने कॉम्बिनेशन हैं कि इस पर पूरी तरह से रोक लगाने में दिक्कतें आएंगी।
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी हमारे लिए बेहद खास है।
अत: टिप्पणीकर उत्साह बढ़ाते रहें।
आपको टिप्पणी के लिए अग्रिम धन्यवाद।