Tuesday, January 20, 2009

इतने मशहूर क्यों हैं ओबामा


बेहद सामान्य और आम आदमी
ओबामा के प्रेजिडेंट पद के लिए चुनाव लड़ने के दौरान पूरी दुनिया ने उनके जीवन के छोटे-छोटे ब्यौरे भी चाव से पढ़े। लोगों ने उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को जाना, जो असल में बहुत सामान्य और एक आम आदमी के जीवन जैसी ही थी। पिता एक ब्रिटिश परिवार के घरेलू नौकर थे, मां भी एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती थी। ओबामा के माता-पिता के बीच तलाक और फिर उनका पिता से दूर रहना और फिर मां के दूसरे विवाह के बाद उनका इंडोनेशिया के एक सामान्य स्कूल में पढ़ाई करना, ये सब ऐसी घटनाएं हैं जो उनके प्रति सहज ही लोगों की संवेदनाएं जगाती हैं।
नास्तिक मगर धार्मिक उदारता के साथ
ओबामा ने मुस्लिम और कैथलिक दोनों तरह के स्कूलों में पढ़ाई की। अपने कैंपेन के दौरान उन्होंने अपने ईसाई होने पर जोर दिया मगर यह घोषणा करने से भी नहीं चूके कि वह राज्य को धर्म से अलग रखते हैं। लोग उन्हें नास्तिक विचारधारा के ज्यादा करीब मानते हैं। ओबामा के भाषणों और उनके सक्रिय जीवन के बीच उनकी अंतिम छवि एक सेक्युलर नेता की बनी जिसके चलते अलग-अलग धार्मिक आस्थाओं वाले लोग भी सहज ही उनके खेमे से जुड़ते गए।
अफ्रीकी अमेरिकी होने का फायदा
ओबामा ने अपनी आत्मकथा में स्वीकार किया है कि वह अपने बारे में (अफ्रीकी अमेरिकी) समाज के नजरिए से इस हद तक आहत हुए कि किशोरावस्था में ही नशा करने लगे। इसलिए जब वह अमेरिकी इतिहास में राष्ट्रपति पद के पहले ब्लैक उम्मीदवार बने, तो अमेरिका की कुल जनसंख्या के करीब 13 फीसदी अफ्रीकी अमेरिकी नागरिकों में से 95 फीसदी ने ओबामा को वोट दिया। लेकिन ओबामा के अश्वेत होने से ऐसा नहीं हुआ कि श्वेत उनके खिलाफ हो गए। कहा जा सकता है की अमेरिका में श्वेत-अश्वेत भेद पूरी तरह खत्म होने की ओर बढ़ रहा है।
युद्ध का दीवाना नहीं
बराक ओबामा पहले डेमोक्रेट थे, जिन्होंने बुश द्वारा इराक में छेड़े युद्ध की कड़ी आलोचना की। बाद में रिपब्लिकन पार्टी ने ओबामा के इसी नजरिए को लेकर आम अमेरिकियों को भड़काने की कोशिश की कि ऐसा भीरु प्रेजिडेंट देश और उसके नागरिकों की रक्षा नहीं कर पाएगा। ओबामा ने इराक में युद्ध न करने और अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के ऐसे तर्क दिए कि रिपब्लिकन लाजवाब होकर रह गए। लेकिन ऐसा करते ही वह पहले से युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे करोड़ों अमेरिकियों की नजर में चढ़ गए। इराक युद्ध पर उनके ऐसे नजरिए ने उन्हें न सिर्फ अपने देश में बल्कि यूरोपीय और इस्लामिक देशों में भी बहुत लोकप्रिय बना दिया।
बेदाग कर्मठ जीवन
ओबामा ने ख़ुद को कर्मठ व्यक्ति के रूप में जनता के सामने पेश किया। इंटरनैशनल स्टडीज में बी।ए. करने और बाद में कानूनी पढ़ाई के बाद उनके हर काम को उजागर किया गया क्योंकि ये साबित करते थे कि ओबामा कितने जनता के नेता हैं। न सिर्फ उन्होंने वॉलंटियर बनकर वोटिंग लिस्ट में नाम डलवाने के लिए जनता के बीच कैंपेन चलाए, वह अश्वेतों के लिए वेलफेयर प्रोग्रामों, टैक्स छूट, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार अवसर पैदा करने जैसे पब्लिक के पसंदीदा मुद्दों पर भी सरकार की आलोचना करने में पीछे नहीं रहे।
एक बेहतर दुनिया का सपना
ओबामा ने हमेशा दूसरे देशों को बराबरी पर रखकर देखा। उन्होंने खुलकर स्वीकार किया कि ग्लोबलाइजेशन के दौर में अमेरिका अपनी जिद पर अड़कर दुनिया से अलग थलग नहीं हो सकता। चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने सिर्फ अमेरिकी हितों की बातें न करके पूरी दुनिया को बेहतर बनाने का वादा किया -आतंकवाद, परमाणु प्रसार, भुखमरी और गरीबी से मुक्त दुनिया।
एक लेखक और विचारक
राजनीति और नेताओं को लेकर कई देशों में जनता ने ऐसी धारणा बनाई हुई है की इसमे शातिर लोग ही पहुंचते हैं। मगर ओबामा ने इस धारणा को सिरे से खारिज किया है। ओबामा के रूप में दुनिया ने देखा कि राजनीति में किताबें लिखने वाले संवेदनशील विचारवान लोग भी आ सकते हैं। ओबामा सिर्फ लेखक ही नहीं, उनके भाषण सुनकर लोगों को मार्टिन लूथर किंग, महात्मा गांधी जैसे युग प्रवर्तकों की याद आ जाती है।

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