Tuesday, November 4, 2008

ऐसे चुना जाता है अमेरिकी उपराष्ट्रपति

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में सिर्फ चार दिन बाकी हैं। उसी दिन उपराष्ट्रपति को भी चुना जाएगा। डेमॉक्रैटिक पार्टी की ओर से जो बिडेन मैदान में हैं जबकि रिपब्लिकन पार्टी ने सारा पालिन को अपना उम्मीदवार बनाया है। उपराष्ट्रपति अमेरिका का दूसरा बड़ा नेता होता है। वह राष्ट्रपति की मौत, उनके इस्तीफे या उनके पद से हट जाने पर राष्ट्रपति पद संभालता है। वाइस प्रेजिडंट सेनेट के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभालता है। प्रेजिडंट अपने सहयोगी यानी वाइस प्रेजिडंट को अतिरिक्त काम भी दे सकता है। संविधान के मुताबिक, उपराष्ट्रपति को कोई कार्यकारी शक्ति नहीं दी गई है। वह राष्ट्रपति के एजेंट के तौर पर काम करता है।
कैसे होता है चुनाव
1804 में संविधान में संशोधन करके चुनाव के तरीके को बदला गया था। इसके तहत प्रेजिडंट और वाइस प्रेजिडंट पद के लिए अलग-अलग बैलट बनाए गए। हालांकि इससे उपराष्ट्रपति पद का रुतबा कम हो गया। कोई भी इलेक्टर दोनों पदों के लिए एक ही स्टेट के उम्मीदवारों को वोट नहीं दे सकता है। चुनाव के इस तरीके से हालांकि इससे वाइस प्रेजिडंट की प्रेसिडंसी को चुनौती कम हो गई। 1804 से पहले उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलिज ही करता था, लेकिन तब अलग-अलग वोट नहीं पड़ते थे। जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते था, वह राष्ट्रपति बनता था। दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति चुना जाता था।
अगर किसी को न मिले बहुमत
अगर किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता है तो उपराष्ट्रपति चुनने का काम सेनेट करती है। अगर यहां भी टाई की स्थिति हो तो पूर्व वाइस प्रेजिडंट यानी सेनेट का अध्यक्ष खुद वोट डालता है और उसका वोट निर्णायक होता है। अब तक सिर्फ 1836 में सेनेट के अध्यक्ष ने अपने वोट का इस्तेमाल किया है।
अलग-अलग पार्टियों के प्रेजिडंट-वाइस प्रेजिडंट!
1804 से पहले के चुनावी तरीके की सबसे बड़ी खामी यही थी। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति अलग-अलग पार्टियों के हो सकते थे। 1796 के चुनाव में फेडरलिस्ट जॉन एडम्स पहले स्थान पर रहे। लेकिन दूसरे वोट के लिए फेडरलिस्ट इलेक्टरों के वोट बंट गए। इस तरह डेमॉक्रैटिक-रिपब्लिकन उम्मीदवार थॉमस जेफरसन दूसरे स्थान पर रहे। उनकी जीत से यह सुनिश्चित हो गया कि दोनों टॉप पदों पर विपक्षी पार्टियों के व्यक्ति काबिज हुए।

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