Tuesday, November 4, 2008

अमरीका में मुख्य पार्टियों का इतिहास

अमरीका को विश्व का सबसे शक्तिशाली देश माना जाता है. अमरीका में यूँ तो कई राजनीतिक पार्टियों का अस्तित्व है. पर मुख्यत यहाँ टू-पार्टी सिस्टम यानी दो दलीय राजनीतिक व्यवस्था है. दो मुख्य दल- रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी का यहाँ वर्चस्व रहा है दोनों पार्टियाँ का अपना लंबा इतिहास रहा है. आइए दोनों पार्टियों के इतिहास पर एक नज़र
डेमोक्रेटिक पार्टी
अमरीका में डेमोक्रेटिक पार्टी का उदय 1790 के दशक में थॉमस जेफ़रसन के नेतृत्व में हुआ था. फ़्रेंकलिन रूज़वेल्ट, हैरी ट्रूमैन, जॉन एफ़ कैनेडी, जिमी कार्टर और बिल क्लिंटन प्रमुख डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति रह चुके हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी का उदय 1790 के दशक में थॉमस जेफ़रसन के नेतृत्व में हुआ था. उस समय कृषि हितों की रक्षा और केंद्र सरकार के हाथों में सारी शक्तियाँ होने के मुद्दे को लेकर काफ़ी गहमागहमी थी.
पार्टी की विचारधारा का मुख्य बिंदु था राज्यों के अधिकारों में उसका विश्वास यानी वो चाहती थी कि केंद्र सरकार कम से कम राज्य सरकार के काम में दख़ल दे और ज़िम्मेदारियाँ राज्य सरकारों पर छोड़ दे. इसके साथ ग़ुलाम प्रथा का मुद्दा भी जुड़ गया जिससे पार्टी में उत्तरी और दक्षिणी डेमोक्रेटिक सदस्य बट गए.
आख़िरकर 1860 में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार अब्राहम लिंकन जब अमरीकी राष्ट्रपति बने तो दक्षिण के डेमोक्रेटिक सदस्य संघीय ढाँचे से अलग हो गए और अमरीका गृह युद्ध की चपेट में आ गया.
पार्टी में मतभेद
युद्ध के बाद के वर्षों के दौरान पार्टी पर वफ़ादार नहीं होने के आरोप लगते रहे और उसे 1884 तक सत्ता से बाहर रहना पड़ा. अल्पमत पार्टी के तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी को दक्षिण के लोगों और उत्तर में अल्पसंख्यक जनजातीय लोगों का समर्थन था. पार्टी का नाम धीरे-धीरे समाज के ऐसे लोगों के साथ जुड़ने लगा जो हाशिए पर हैं जैसे ग़रीब किसान या जिन्हें तरक्की का फ़ायदा नहीं मिला.
लंबे समय तक सत्ता से बाहर रहने के कारण पार्टी को काफ़ी नुकसान हुआ और सदस्य बट गए. 1924 में हुई कन्वेंशन में 103 अलग-अलग बैलेट के बाद वो राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन पाए. बाद में रिपब्लिकन पार्टी की विफलता और ग्रेट डिप्रेशन के बाद पैदा हुई स्थितियों से नया राजनीतिक परिदृश्य बना और फ़्रेंकलिन रूज़वेल्ट राष्टपति बने.
रूज़वेल्ट पार्टी को सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर नई राह पे ले गए और पार्टी के दायरे में शहरी लोग, यूनियन, बुद्विजीवि, किसान, अल्पसंख्यक और दक्षिण में रहने वाले ग़रीब श्वेत लोग भी आ गए. 1932 से लेकर 1968 तक 36 में से 28 वर्षों तक राष्ट्रपति पद डेमोक्रेटिक पार्टी के पास रहा. सिर्फ़ आईज़नहॉवर इस बीच दो बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति बने (1952-1960).
सत्ता से बाहर
साठ के दशक में गठबंधन टूटने लगा. वियतनाम युद्ध और यूनियन के बढ़ते क़दमों ने डेमोक्रेटिक पार्टी में और फूट डाल दी. पार्टी को केवल एक वर्ग से जोड़ कर देखा जाने लगा. 1968 से लेकर 1992 तक डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार केवल चार सालों के लिए व्हाइट हाउस में रहा. केवल जिमी कार्टर और बिल क्लिंटन इस रूख़ को मोड़ पाए. राष्ट्रपति निक्सन को लेकर हुए वाटरगेट घोटाले के बाद जिमी कार्टर आए थे. लेकिन उनका प्रदर्शन काफ़ी ख़राब रहा और उनके जाने के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी 12 वर्षों तक सत्ता में नहीं आ सकी. 1993 में फिर बिल क्लिंटन सत्ता में आए.
क्लिंटन का कार्यकाल
क्लिंटन की सबसे बड़ी उपबल्धि ये मानी जाती है कि उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी को फिर से उस दल के तौर पर स्थापित किया जो अच्छे आर्थिक प्रबंधन में विश्वास रखती है. रूज़वेल्ट के बाद दोबारा चुने जाने वाले वे पहले डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बने. इस दौरान अमरीकी अर्थव्यवस्था का ख़ूब विस्तार हुआ.
लेकिन दूसरे कार्यकाल में व्हाइट हाउस की कर्मचारी मोनिका लेविंस्की के साथ संबंध और शपथ के तहत इस बात से इनकार करने को लेकर महाभियोग का मुद्दा छाया रहा. हालांकि सिनेट में वे दोषमुक्त साबित हुए. वर्ष 2000 के चुनाव में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अल गोर ने क्लिंटन के तहत हुई आर्थिक तरक्की का मुद्दा जो़र शोर से उठाया लेकिन वे रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज बुश से हार गए. 2004 में भी पार्टी को सफलता नहीं मिली. जॉन केरी चुनाव हार गए हालांकि वे काफ़ी कम अंतर से हारे थे.
डेमोक्रेटिक पार्टी की किस्मत 2006 से बदलनी शुरु हुई. इराक़ से आने वाली नकारात्मक ख़बरों ने रिपब्लिकन पार्टी की साख़ पर असर डाला. 1994 के बाद पहली बार मध्यावधि चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ने जीत हासिल की और कांग्रेस के दोनों सदनों पर क़ब्ज़ा जमाया. 2008 में पार्टी को उम्मीद है कि इराक़ युद्ध को लेकर असंतोष का फ़ायदा उसे मिलेगा.
कुछ प्रमुख डेमोक्रेटिक उम्मीदवार
एंड्रूय जैक्सन (1829-1837)
फ़्रैंकलिन रूज़वेल्ट (1933-1945)
हैरी एस ट्रूमैन ( 1945-1953)
जॉन कैनेडी ( 1961-1963)
जिमी कार्टर ( 1977-1981)
बिल क्लिंटन ( 1993-2001)

रिपब्लिकन पार्टी
रिपब्लिकन पार्टी को अमरीका की ग्रैंड ओल्ड पार्टी(जीओपी) कहा जाता है. इसका गठन 1850 के दशक में हुआ था. अब्राहिम लिंकन, रिचर्ड निक्सन, रॉनल्ड रेगन और जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रमुख रिपब्लिकन राष्ट्रपति रहे हैं.
रिपब्लिकन पार्टी को अमरीका की ग्रैंड ओल्ड पार्टी(जीओपी) कहा जाता है. इसका गठन 19वीं सदी में 50 के दशक में हुआ था जिसमें उत्तरी क्षेत्र के डेमोक्रिटक पार्टी के सदस्य और ग़ुलामी प्रथा का विरोध करने वाले लोग शामिल थे. ग़ुलामी प्रथा के मुद्दे ने अमरीका का राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया और रिपब्लिकन पार्टी को व्हाइट हाउस तक पहुँचाया. 1860 में रिपब्लिकन पार्टी से इब्राहिम लिंकन राष्ट्रपति बने.
शुरु में पार्टी ने काले समुदाय के लोगों को मतदान समेत दूसरे अधिकार देने का समर्थन किया लेकिन राजनीति में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए उसे अपना रुख़ नरम करना पड़ा. 1868-1892 के बीच पार्टी ने पाँच राष्ट्रपति चुनाव जीते. 1880 के बाद अमरीका में उद्योग का विकास हुआ और औद्योगिक हित पार्टी पर हावी होने लगे.
लेकिन ग्रेट डिप्रेशन से पैदा हुई समस्याओं और राष्ट्रपति हूवर की विफलता (1929-1933)के कारण डेमोक्रेटिक ‘न्यू डील’ का उदय हुआ और फ़्रैंकलिन रूज़वेल्ट राष्ट्रपति बने.
पर साम्यवाद के उदय के कारण रिपब्लिकन की ओर से आईज़नहॉवर(1952-1960) फिर राष्ट्रपति बने.
क़ानून-व्यवस्था और नसल के मुद्दों को लेकर रिचर्ड निक्सन 1968 में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति बने. 1968 से लेकर 1992 तक व्हाइट पर रिपब्लिकन का ही क़ब्ज़ा रहा ( 1976-1980 को छोड़कर जब वाटरगेट घोटाले के बाद जिमी कार्टर आए थे).
रॉनल्ड रेगन के नेतृ्त्व में रिपब्लिकन पार्टी को बेहद फ़ायद हुआ. कम कर, रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी और उनकी साम्यवादी विरोधी नीति ने डेमोक्रेटिक पार्टी को करारी हार दी. 1989 में जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति बने. बुश से पार्टी को काफ़ी उम्मीदें थी लेकिन 1993 में उसे निराशा हाथ लगी. घरेलू समस्याओं से निपटने में विपल रहे बुश प्रशासन के बाद डेम्रोक्रेटिक पार्टी ने व्हाइट हाउस, सिनेट और हाउस ऑफ़ रिप्रिसेंटेविवस पर क़ब्ज़ा जमाया. बिल क्लिंटन (1993-2001)दो बार राष्ट्रपति बने.
बुश का कार्यकाल और इराक़
इसके बाद वर्ष 2000 में रिपब्लिकन पार्टी ने अपनी उम्मीदें जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश के बेटे जॉर्ज बुश पर लगाईं. वे पॉपुलर वोट में हार गए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद बुश को विजयी घोषित किया गया. अपने पिता की नीति के उलट जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने क्योटो समझौते से अमरीकी समर्थन वापस ले लिया. करों में कटौती उनकी घरेलू नीति का अहम हिस्सा बनी.
11 सितंबर 2001 में न्यूयॉर्क और पेंटागन पर हमलों ने बुश कार्यकाल की दिशा ही बदल दी. आतंक के ख़िलाफ़ जंग का नया नारा सामने आया. इसका नतीजा ये हुआ कि राष्ट्रपति बुश की रेटिंग में ज़बरदस्त उछाल आया जो एक साल तक रहा. नवबंर 2002 के मध्यावधि चुनाव के समय रिपब्लिकन पार्टी के रणनीतिकारों ने बुश की लोकप्रियता और 11 सितंबर के हमलों को देखते हुए बुश प्रशासन की प्रतिक्रिया का भरपूर इस्तेमाल किया और रिपब्लिकन पार्टी को देशभक्त और राष्ट्रीय सुरक्षा देने वाली पार्टी के रूप में पेश किया. पार्टी को ज़बरदस्त जीत मिली.
1934 के बाद पहली बार पार्टी ने मध्यावधि चुनाव में व्हाइट हाउस और कांग्रेस के दोनों सदनों पर क़ब्ज़ा जमाया. इस वजह से पार्टी का प्रभुत्व काफ़ी बढ़ गया. इस जनादेश का इस्तेमाल राष्ट्रपति बुश ने इराक़ युद्ध पर जाने के लिए किया. इराक़ युद्ध में मिली शुरुआती सफलता के कारण रिपब्लिकन पार्टी 2004 में व्हाइट हाउस और कांग्रेस पर क़ब्ज़ा रखने में सफल रही. लेकिन 2006 तक आते-आते इराक़ में अमरीकी सैनिकों की मौजूदगी से असंतोष फैलने लगा.
अमरीकी सैनिक बढ़ी संख्या में हताहत होने लगे. नवंबर में हुए मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी हार गई और कांग्रेस के दोनों सदन उसके हाथ से निकल गए रिपब्लिकन पार्टी के अंदर ही इराक़ को लेकर सवाल उठने लगे. 2008 राष्ट्रपति अभियान के दौरान पार्टी में ही मतभेद नज़र आए हैं- आगे की राह और इराक़ को लेकर.
प्रमुख रिपब्लिकन राष्ट्रपति

  • इब्राहिम लिंकन (1861-1865)
  • हरबर्ट हूवर ( 1929-1933)
  • रिचर्ड निक्सन ( 1969-1974)
  • रॉनल्ड रेगन ( 1981-1989)
  • जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश (1989-1993)
  • जॉर्ज डब्ल्यू बुश (2001- अब तक

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