Sunday, November 23, 2008

रामसेतु फिर चर्चा में


रामेश्वरम. महत्वाकांक्षी सेतुसमुद्रम परियोजना को लेकर विवादों में आया रामसेतु का पौराणिक पुल फिर चर्चा में है। इस पवित्र ढांचे का हिस्सा मानी जा रही चट्टानों की बिक्री यहां पूरे जोरों पर है।
एजेंटों और टूरिस्ट गाइडों द्वारा बेची जा रही इन मूंगा चट्टानों को बड़ी संख्या में तीर्थयात्री खरीद रहे हैं। विक्रेताओं का दावा है कि ये चट्टानें भगवान राम की वानरसेना द्वारा तैयार किए गए पुल का हिस्सा हैं।

मन्नार की खाड़ी के समुद्री नेशनल पार्क के एक अधिकारी के अनुसार श्रद्धालु इस भरोसे से चट्टानों को खरीद रहे हैं कि ये रामसेतु का हिस्सा हैं, लेकिन वास्तव में ये मूंगा चट्टानें हैं। मूंगा चट्टानें पानी में नैसर्गिक रूप से तैरती हैं। इस कारण लोगों को भरोसा होने लगता है कि भगवान राम की सेना ने इन्हीं चट्टानों का उपयोग सेतु बनाने में किया होगा और श्रद्धावश वे इन्हें खरीद रहे हैं।
वन्य और समुद्री जीवन संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिबंधित होने के बावजूद पांच स्थानों-सीता तीर्थम, राम तीर्थम, लक्ष्मण तीर्थम, कंधमाधनापर्वम और एक आश्रम में इन चट्टानों की ब्रिकी हो रही है। चट्टान के एक टुकड़े की कीमत 500 से हजार रु. तक लगाई जा रही है। बिक्री करने वाले एक टूरिस्ट गाइड गोपीनाथन ने बताया कि बेचे गए हर चट्टान के टुकड़े पर उन्हें एक निश्चित कमीशन मिलता है। द्वीप का दौरा करने वाले विशेष अतिथियों को भी यह चट्टानें भेंट की जाती हैं। उसके अनुसार इन चट्टानों को घर में रखना शुभ होता है।

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