Monday, December 15, 2008

मुंबई पर हमले की कहानी, कसब की जुबानी

मुंबई हमले में गिरफ्तार आतंकवादी अजमल आमिर कसब ने अपनी पूरी कहानी बयान कर दी है। शुरू से लेकर अंत तक उसने बताया कि कैसे पाकिस्तान में बैठे आकाओं ने तबाही मचाने, लोगों को बंधक बनाने और मीडिया के जरिए डिमांड रखने की साजिश रची थी।
ऐसे बना आतंकवादी
मेरा इरादा लुटेरा बनने का था। इसके लिए हथियारों की तलाश में बकरीद के दिन रावलपिंडी के राजा बाजार से मैं लश्कर-ए-तैयबा के दफ्तर पहुंचा। वहां मुझे एक व्यक्ति मिला। हमने उससे कहा कि हम संगठन में शामिल होना चाहते हैं। उसने कुछ पूछताछ की, हमारे नाम-पते लिखे और अगले दिन आने को कहा। अगले दिन उसके साथ एक और व्यक्ति था। उसने हमें 200 रुपये और कुछ रसीदें दीं। उसने हमें मुरीदके में मरकस तैयबा का पता देकर पहुंचने को कहा, जहां लश्कर के ट्रेनिंग कैंप हैं।
दहशत की ट्रेनिंग
मुरीद के में हमें 21 दिन की ट्रेनिंग (दौरा-सफा) दी गई। इसके बाद हमें 21 दिन के लिए एक और ट्रेनिंग दौरा-अमा के लिए भेजा गया। बाद में हमें मनसेरा भुट्टल गांव ले जाया गया, जहां तमाम हथियार चलाने की ट्रेनिंग मिली। आगे की ट्रेनिंग (दौरा-ए-खास) हमें मुजफ्फराबाद स्थित लश्कर के कैंप में दी गई। चेल्बंदी के पहाड़ी इलाके में हम 32 लड़कों को तीन महीने दौरान कसरत के अलावा हैंड ग्रेनेड, रॉकिट लांचर और मोर्टार आदि हथियारों का अभ्यास कराया गया। इनमें से 16 को जाकी उर रहमान लखवी (जिन्हें सभी चचा कहते थे) ने कुछ गुप्त अभियानों के लिए चुना था। इन 16 में से तीन ट्रेनिंग कैंप से भाग गए। बाकी बचे हम 13 लोगों को कफा नाम के व्यक्ति के साथ मुरीदके कैंप भेजा गया।
समुद्र की सवारी
मुरीदके में हमें तैराकी सिखाई गई। एक मछुआरे ने हमें समुद्र के वातावरण के बारे में बताया। हम कई बार समुद्र में भी उतरे। इस ट्रेनिंग के दौरान हमें भारतीय सुरक्षा एजंसियों के कामकाज के बारे में बताया गया। भारत में मुसलमानों पर अत्याचार की फिल्में दिखाई गईं।
आतंक का कारवां
10 लड़कों को दो ग्रुपों में मुंबई में हमले से तीन दिन पहले समुद्र के रास्ते कराची से रवाना होना तय हुआ। 23 नवंबर को सुबह सवा चार बजे हम समुद्र तट पहुंचे। करीब 20-25 मील यात्रा के बाद हमें समंदर में एक बड़ी नाव मिली। हमसे कहा गया था कि एक घंटे के सफर के बाद गहरे समुद्र में हमें अल हुसैनी नामक बड़े जहाज में चढ़ाया जाएगा। हममें से हरेक को आठ ग्रेनेड, एक एके-47 राइफल, 200 कारतूस, दो मैगजीन और एक सेलफोन दिया गया। इसके बाद हम भारतीय तट की ओर बढे़।
मुंबई में दस्तक
जब हम तट से कुछ दूरी पर थे, इस्माइल और अफादुल्ला ने भारतीय नाव पर एक भारतीय (डांडले) की हत्या कर दी। इसके बाद हम डिंघी पर सवार हुए और पहले दिए गए निर्देशों के मुताबिक बुदवार पार्क जेट्टी पहुंचे। बुदवार पार्क में उतरने के बाद मैं इस्माइल के साथ टैक्सी से विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन गया। हमारा कोड नेम वीटीएस टीम था। स्टेशन पहुंचकर मैं और इस्माइल सुलभ शौचालय में गए और हथियार निकालकर गोलियां भरीं। बाहर आकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
चचा की कारस्तानी
हमसे कहा गया था कि भीड़भाड़ वाले समय सुबह 7 से 11 और शाम को भी इसी समय फायरिंग करनी है। कुछ लोगों को अगवा करके नजदीक की किसी इमारत की छत पर ले जाना था और लखवी चचा से संपर्क करना था। हमें बताया गया था कि चचा मीडिया के कुछ लोगों के नंबर देते। उसी के जरिए हमें मीडिया से बात करके बंधकों की रिहाई के लिए डिमांड रखनी थीं।

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी हमारे लिए बेहद खास है।
अत: टिप्पणीकर उत्साह बढ़ाते रहें।
आपको टिप्पणी के लिए अग्रिम धन्यवाद।