Saturday, December 27, 2008

तीन साल में मिसाइल शील्ड प्रणाली


दुश्मनों की मिसाइलों को आसमान में ही नष्ट करने के लिए भारत ने इंटरसेप्टर मिसाइलें [एंटी मिसाइल] तैयार कर ली हैं। हालाँकि इसकी तैनाती तीन साल बाद ही हो पाएगी। इस बीच इसके जरूरी परीक्षण किए जायेंगे। भारत एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम में महारत हासिल करने के लिए परीक्षण की तैयारी में है।
क्षमता कुछ इस तरह से विकसित की जा रही है कि यदि एक इंटरसेप्टर मिसाइल से दुश्मन मिसाइल बच भी निकले तो साथ में छोड़ी गई दूसरी इंटरसेप्टर मिसाइल उसे 10 से 25 किलोमीटर की ऊंचाई पर ध्वस्त कर दे। दो-तीन साल में कुछ और परीक्षणों के बाद इंटरसेप्टर मिसाइलों को सेना को तैनाती के लिए देने की कवायद शुरू हो जाएगी। इनकी तैनाती के बाद दुश्मन की मिसाइल परमाणु वारहेड से लैस हो और वह देश के वायुमंडल में ध्वस्त होती है तब भी चिंता की जरूरत नहीं होगी। इतनी ऊंचाई पर परमाणु वारहेड डेटोनेट नहीं होता। इस तरह मिसाइल के टुकड़े तो जमीन पर गिरेंगे, पर उससे विस्फोट के साथ तबाही नहीं मचेगी। इसके अलावा पृथ्वी मिसाइल को दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल की तरह दागते हुए 50 से 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर ध्वस्त करने का परीक्षण किए जाने की तैयारी है। यह परीक्षण उड़ीसा के तटीय इलाके में चांदीपुर रेंज से किया जाएगा। परीक्षण की सफलता के साथ ही काफी हद तक 7.5 मीटर लंबी इंटरसेप्टर मिसाइल की सफलता पर मुहर लग जाएगी।
10 से 25 किलोमीटर की ऊंचाई तक दुश्मन की मिसाइल को ध्वस्त करने वाली इंटरसेप्टर पीएडी मिसाइल को 'प्रद्युम्न' नाम दिया गया है। संभावना है कि इससे अधिक ऊंचाई पर इंटरसेप्ट करने वाली एएडी मिसाइल को 'अश्विन' नाम दिया जाएगा।

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