Saturday, December 27, 2008

वियाग्रा बना अमेरिका का हथियार


  • अफगानी कबीलों के सरदारों को दे रहे लालच
  • बदले में तालिबान के ठिकानों और गतिविधियों की दे रहे जानकारी
वॉशिंगटन : अमेरिका ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जंग और इश्क में सब जायज है। अफगानिस्तान में तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जारी लड़ाई में उसने वियाग्रा को अपना हथियार बना लिया है और यह काफी कारगर भी साबित हो रहा है।
अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए अफगानी कबीलों के सरदारों को तालिबान और अल-कायदा के बारे में जानकारी देने के बदले वियाग्रा का प्रलोभन दे रही है। दरअसल, ज्यादातर सरदारों की एक से ज्यादा और उनके मुकाबले काफी कम उम्र की बीवियां हैं। इसलिए उन्हें अमेरिकी खुफिया एजंसी का यह तोहफा काफी पसंद आ रहा है। बदले में वे अमेरिकी सेना को तालिबान के ठिकानों और गतिविधियों की जानकारी दे रहे हैं।
वॉशिंगटन टाइम्स ने एक सीआईए एजंट के हवाले से लिखा है कि उन्होंने एक कबीले के सरदार को वियाग्रा की चार गोलियां दीं। वह सरदार 60 साल से अधिक उम्र का है और उसकी चार जवान बीवियां हैं। एजंट के मुताबिक वह सरदार चार दिन बाद आया और उसने तालिबान के रूट और सामान की सप्लाई के बारे में ढेरों जानकारियां दीं। बदल में सरदार ने एजंट से और वियाग्रा देने की मांग की।

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