Friday, December 12, 2008

'क्रिकेट का किला' चरमराया


'क्रिकेट का किला' राहुल द्रविड़ के कैरियर का बुरा दौर चेन्नई में भी जारी रहा। उनके तीन रन बनाकर पवेलियन लौटने से यह सवाल फिर उठ गया है कि क्या वास्तव में भारतीय दीवार अब बुरी तरह चरमरा गई है। यदि द्रविड़ के हाल के प्रदर्शन को देखें तो इसका जवाब 'हां' में दिया जा सकता है। यही कारण है कि उनका यह प्रदर्शन टीम प्रबंधन के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ


  • द्रविड़ ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैच में केवल 120 रन बनाए जबकि पिछले दस टेस्ट मैच में उनके नाम पर 19.80 की औसत से 338 रन दर्ज है जिसमें केवल दो अर्धशतक शामिल है।
  • पिछली 18 पारियों में से 13 बार वह 20 रन तक भी नहीं पहुंच पाए और उन्होंने अंतिम शतक दस मैच पहले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई में [111 रन]
  • उन्होंने इस साल 14 मैच में 28.91 की औसत से 665 रन बनाए असल में द्रविड़ के प्रदर्शन में पिछले दो साल में लगातार गिरावट आई जिससे उनका ओवरआल औसत भी लगभग छह प्रतिशत गिरा।
  • द्रविड़ ने पिछले दो साल में 26 मैच में 30 की औसत से 1320 रन बनाए। इस बीच उन्होंने केवल दो शतक लगाए लेकिन इनमें से एक शतक उन्होंने बांग्लादेश की कमजोर टीम के खिलाफ सपाट पिच पर बनाया जबकि दूसरा चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बल्लेबाजों के लिए अनुकूल पिच पर.
  • 2006 के दक्षिण अफ्रीकी दौरे से पहले उनका बल्लेबाजी औसत 58.75 था और उनकी गणना डान ब्रैडमैन, ग्रीम पोलाक और एवर्टन वीक्स जैसे उन बल्लेबाजों में होती थी जिनका औसत 58 रन प्रति पारी से ऊपर है लेकिन अब उनका औसत 52.36 रह गया है।
  • द्रविड़ इस बीच बांग्लादेश को छोड़कर किसी भी देश के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने इस कमजोर टीम के खिलाफ दो मैच में 64 रन प्रति पारी की औसत से 192 रन बनाए लेकिन अन्य टीमों के खिलाफ उनका औसत 40 से कम
  • वैसे, यह पहला मौका नहीं है जबकि द्रविड़ रूपी दीवार चरमराती रही। उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज में केवल 17.14 की औसत रन बनाए लेकिन यह द्रविड़ के 129 टेस्ट मैचों के कैरियर में दूसरा मौका है जबकि तीन या उससे अधिक टेस्ट मैचों की सीरीज में उनका औसत 20 से भी कम रहा।
  • इससे पहले द्रविड़ अपने कैरियर के शुरुआती दौर में दिसंबर 1999 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ उसकी सरजमीं पर तीन मैच में 15.50 की औसत से केवल 93 रन बना पाए थे। यह वह दौर था जब द्रविड़ वर्तमान समय की तरह एक-एक रन बनाने के लिए जूझ रहे थे।
  • द्रविड़ ने 1996 में अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत की और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज से पहले भारत की तरफ से उन्होंने जिन 47 सीरीजों में भाग लिया है उनमें से 17 में उनका औसत 40 रन से कम रहा जबकि 11 सीरीज में वह 30 रन की औसत भी हासिल नहीं कर पाए।

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