Thursday, December 18, 2008

दंड प्रक्रिया संहिता [सीआरपीसी] संशोधन विधेयक पेश

नई दिल्ली। बलात्कार की शिकार महिलाओं को अदालती कार्यवाही की परेशानियों से बचाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता [सीआरपीसी] में संशोधन संबंधी विधेयक बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किया गया।
गृहमंत्री पी. चिदंबरम द्वारा पेश किए गए दंड प्रक्रिया संहिता [सीआरपीसी] संशोधन विधेयक 2006 में बलात्कार की शिकार महिलाओं को बार-बार अदालतों का चक्कर लगाने की बजाय अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनकी गवाही या जिरह की सुविधा देने का प्रावधान है। गवाहों के लिए भी वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा देने का प्रस्ताव है।

  • इस विधेयक में प्रस्ताव है कि बलात्कार के मामले की सुनवाई दो महीने के भीतर पूरी कर ली जाए.
  • जहां तक संभव हो इन मामलों की सुनवाई महिला न्यायाधीश करे तथा पीड़ित महिला अपनी सुविधा वाले स्थान से ही बयान दर्ज करा सके।
  • यदि कोई महिला मृत्युदंड की सजा सुनाए जाते समय गर्भवती हो तो उसकी सजा को आजीवन कारावास में भी बदलने का प्रस्ताव है।
  • बलात्कार की शिकार महिलाओं को बार-बार अदालतों का चक्कर लगाने की बजाय अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनकी गवाही या जिरह की सुविधा देने का प्रावधान है।
  • मानसिक रोगों का शिकार और बच्चों के लिए भी प्रक्रिया को राहत देने वाला बनाया गया है। यह विधेयक पहली बार अगस्त 2006 में राज्यसभा में पेश किया गया था तथा इसे व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति को सौंप दिया गया था।

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