Sunday, December 7, 2008

कसब के कुबूलनामे को टीवी पर दिखायें

देश के सबसे शानदार ट्रैक रेकॉर्ड वाले आईपीएस अफसरों में से एक एस.एस. विर्क ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि मुंबई पर हुए आतंकी हमलों में पकड़े गए आतंकवादी अजमल आमिर कसब के कुबूलनामे को टीवी पर दिखाया जाना चाहिए। विर्क के मुताबिक इससे दूध का दूध पानी का पानी साफ हो जाएगा और सच दुनिया के सामने शीशे की तरह साफ हो जाएगा।

विर्क इस समय महाराष्ट्र के डीजीपी से एन.एन.राय से टॉप पोस्ट (डीजीपी) के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। विर्क ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए मुंबई पुलिस को कुछ सुझाव दिए हैं। एस.एस.विर्क खुद पंजाब में करीब एक दशक तक आतंकवाद और उग्रवाद से जूझते रहे हैं। विर्क की पंजाब में तैनाती डेपुटेशन पर हुई थी। गौरतलब है कि देश में मौजूदा कानूनों के मुताबिक पुलिस की पूछताछ, इकबालिया बयानों और कुबूलनामे को टीवी-रेडियो पर दिखाए जाने या कहीं भी प्रकाशित किए जाने पर प्रतिबंध है।
विर्क ने कहा है कि कसब के कुबूलनामे को टीवी पर दिखाने से इन आतंकी हमलों में पाकिस्तान के सीधे हाथ होने की बात दुनिया के सामने आ जाएगी। विर्क कहते हैं कि कसब को टीवी पर यह बताने दीजिए कि वह कहां से आया है, उसे कैसे और किन लोगों ने तबाही मचाने की ट्रेनिंग दी। विर्क के मुताबिक ऐसा करने से पाकिस्तान का भांडा पूरी तरह से फूट जाएगा। तब पड़ोसी मुल्क इन बातों से इनकार नहीं कर सकेगा।
विर्क ने एक और दिलचस्प सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को स्टूडंट इस्लामिक मूवमंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। बल्कि सिमी के नेटवर्क का इस्तेमाल मुस्लिम नेताओं की मदद से सही दिशा में किया जाना चाहिए ताकि उनकी ऊर्जा का बेहतर और पॉजिटिव प्रयोग हो सके।

विर्क ने सुझाव देते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में हमें तकनीक, हथियारों, मानव संसाधन और बेहतर रणनीति का सही अनुपात में इस्तेमाल करना चाहिए। विर्क के मुताबिक यह आतंकवाद महज फंड के आधार पर आप इसे काबू में नहीं ला सकते हैं। विर्क ने बताया कि उन्हें पंजाब में रूरल टेररिज़म (ग्रामीण नेटवर्क पर आधारित आतंकवाद) का मुकाबला करने का तजुर्बा है। विर्क ने कहा कि अगर पुलिस को आतंकवाद का मुकाबला करने का अनुभव होता तो शायद मुंबई पर हमले की धार हम कुंद कर सकते थे।

विर्क के मुताबिक 26 नवंबर को बिल्कुल जंग जैसे हालात थे और ऐसे हालात में मुंबई पुलिस जिस तरह से रिएक्ट किया, वह काबिल-ए-तारीफ है। मुंबई पुलिस की अप्रोच बेहद प्रैक्टिल थी। विर्क के मुताबिक उन्होंने पुलिस का ऐसा रिएक्शन और कहीं नहीं देखा। लेकिन आतंक से लड़ने के तौर-तरीकों से नावाकिफ होना मुंबई पुलिस को थोड़ा महंगा पडा़।

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी हमारे लिए बेहद खास है।
अत: टिप्पणीकर उत्साह बढ़ाते रहें।
आपको टिप्पणी के लिए अग्रिम धन्यवाद।