Monday, December 1, 2008

...तो नहीं होता मुंबई में आतंकी अटैक

आईबी ने चेताया था, होगा समुद्री हमला
दिसंबर 2006 में इंटेलिजंस ब्यूरो ने मुंबई पुलिस को चेतावनी दी थी कि आतंकवादी हमले के लिए समुद्री रास्ते का इस्तेमाल किया लजा सकता है। इसका खुलासा कश्मीर में गिरफ्तार आतंकवादियों से पूछताछ के दौरान हुआ था। आतंकवादियों ने यह माना था कि समुद्री तट पर बसे भारत के शहरों की सुरक्षा मजबूत नहीं है। यह जानकारी तक थी कि पाकिस्तानी नेवी और आईएसआई समुद्री हमले के लिए आतंकवादियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। करीब 500-600 आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी गई थी। इन्हें मछुआरों की भेष में भेजने की योजना थी। ट्रेनिंग में लश्कर-ए-तैबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत-उल-मुजाहिदीन के सदस्यों ने हिस्सा लिया था।
मछुआरों ने बताया था, आरडीएक्स आया है
महाराष्ट्र फिशरमन यूनियन ने दावा किया है कि हमने आरडीएक्स लाए जाने के बारे में सरकार को अगस्त 2008 में ही बता दिया था। यूनियन का कहना है कि हमने राज्य सरकार को बताया था कि शहर में फिशिंग ट्रॉलर के आरडीएक्स लाया गया। अखिल भारतीय मच्छीमार कृति समिति के प्रेजिडंट दामोदर थंडल ने बताया कि गुजरात के मेरे एक दोस्त ने चेताया था कि मुंबई पर हमला होने वाला है। गुजरात तट पर स्थित ओखा में मछुआरों को सबसे पहले आरडीएक्स की तस्करी किए जाने का शक हुआ था। मछुआरों ने इस बारे में पुलिस को भी बता दिया था।
ताज होटेल को निशाना बनाए जाने का था अंदेशा
ताज होटेल के मैनिजमंट को पहले ही आगाह कर दिया गया था कि होटल को निशाना बनाया जा सकता है। इसके बाद सिक्यूरिटी बढ़ाई भी गई थी। लेकिन दुर्भाग्यवश हमलों से कुछ दिनों पहले ही सिक्यूरिटी कम कर दी गई थी। टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा कि होटल की सुरक्षा इतनी नहीं थी कि हम हमले को रोक पाते। उन्होंने बताया कि हमलावर होटेल के पिछले हिस्से से घुसे थे।
काश! एनएसजी कमांडो थोड़ा जल्दी पहुंचते
बहादुरी की मिसाल पेश करने वाले एनएसजी कमांडो अगर थोड़ा जल्दी कार्रवाई शुरू करते तो शायद हालात और बेहतर होते। कमांडोज़ के लिए तुरंत एक एयरलिफ्ट का इंतजाम किया जाना चाहिए था। एनएसजी कमांडोज़ को बुलाए जाने का फैसला गुरुवार रात एक बजे किया गया था। लेकिन कमांडोज़ मुंबई में सुबह पांच बजे के बाद पहुंचे। अब तक एनएसजी के लिए खास एयरक्राफ्ट का इंतजाम नहीं किया जा सका है। इसी तरह मरीन कमांडोज़ को बुलाए जाने में भी देरी की गई।
तैयार नहीं थी मुंबई पुलिस!
मुंबई कई बार आतंकवादी हमलों का शिकार बन चुकी है। इसके बावजूद बुधवार रात हुए हमले में पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े किए जा सकते हैं। मुंबई पुलिस का हेडक्वॉर्टर ताज होटेल के काफी करीब है। हमले के कुछ घंटों के भीतर ही तीन जांबाज सिपाही एटीएस चीफ हेमंत करकरे, एसीपी अशोक काम्टे और पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर शहीद हो चुके थे। इन तीनों की शहादत के बाद पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे बुलेटप्रूफ जैकिटों पर भी सवाल उठ रहे हैं। आधुनिक जैकिटों को इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी तो दी जा चुकी है लेकिन ढिलाई के कारण अभी तक डिलिवरी नहीं हो पाई। समुद्री सीमा पर भी पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं है। अब तक मरीन फोर्स का गठन भी नहीं किया गया है।

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